पितृपक्ष यानी श्राद्ध बुधवार, 2 सितंबर से शुरू होकर 15 सितंबर तक रहेंगे. पितरों की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. शास्त्रों के मुताबिक अगर पितरों को शांत ना किया जाए तो हमारा जीवन सुखमयी नहीं रहता है. ज्योतिषाचार्या करिश्मा कौशिक के मुताबिक, श्राद्ध के 15 दिनों में आप पितरों का तर्पण कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं. श्राद्ध में पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है.
1. पितरों की मृत्यु तिथि के हिसाब से उनका श्राद्ध या तर्पण किया जाना चाहिए. यदि आपको पितरों की मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी नहीं है तो आप पितृपक्ष के पहले दिन और अंतिम दिन यानी अमावस्या पर तर्पण कर सकते हैं.
2. श्राद्ध की 15 दिनों की अवधि में गाय, कुत्ते और कौवे को लगातार भोजन जरूर दें. आप गाय को हरा चारा, कुत्ते को दूध और कौवे को रोटी दे सकते हैं. ऐसा करने से भी पितरों का आशीर्वाद आपको मिलेगा.
3. पितृपक्ष में दान का भी बड़ा महत्व होता है. इस वक्त दान करने से पुण्य की प्राप्ति हो सकती है. कुंडली में पितृदोष होने पर आपको जरूर दान करना चाहिए. ऐसा करने से आपके कार्यों में आने वाली रुकावटें दूर होंगी.
4. कुछ लोगों को अपने पितरों के बारे में ही जानकारी नहीं होती है. ऐसे लोगों को घर में मृत किसी व्यक्ति के नाम से श्राद्ध करना चाहिए. आप उनके नाम से पशुओं और गरीब ब्राह्मणों को भोजन दे सकते हैं और दान भी कर सकते हैं.
5. पितृपक्ष में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. इस दौरान घर में पूजा-पाठ करने का भी बड़ा लाभ होता है. साथ ही, मांस, मदिरा या तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए. आपको केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए.