पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की आज उनके चीनी समकक्षीय वेइ फेंघे के बीच मॉस्को में कुछ देर बाद मुलाकात होने जा रही है। समाचार एजेंसी एएनआई ने इस बात की जानकार सूत्रों के हवाले से दी है। उन दोनों की यह मुलाकात रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की बैठक के इतर होने जा रही है। मई की शुरुआत में विवाद के बाद ऐसा तीसरी बार है जब चीन के रक्षा मंत्री ने राजनाथ सिंह के बैठक के लिए समय मांगा था।
मई 2020 में चीनी सेना द्वारा पूर्वी लद्दाख में LAC पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव किए जाने के बाद से पहली बार इस स्तर की राजनीतिक मुलाकात हो रही है। दिल्ली और मॉस्को में मौजूद इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से इस बैठक का प्रबंध किया है ताकि लद्दाख में मौजूदा स्थिति से निकलने का रास्ता निकल सके, जहां दोनों सेनाएं पूर्ण क्षमता के साथ आमने-सामने खड़ी हैं।
दो रक्षामंत्रियों के बीच यह बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह नरेंद्र मोदी सरकार में नंबर दो हैं और बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष हैं। वहीं, जनरल वेई मिसाइल फोर्स के पूर्व कमांडर, स्टेट काउंसलर और शक्तिशाली सेंट्रल मिलिट्री कमिशन के सदस्य हैं। CMC का ही PLA पर नियंत्रण है, जिसके मुखिया राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं। इस मुलाकात के बाद इसी मंच पर 10 सितंबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की संभावना है।
दोनों देशों के बीच तनाव एक बार फिर से उस वक्त और बढ़ गया जब भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो में पांच दिन पहले चीन सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ को नाकाम करते हुए उस ऊंचाई वाले क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर विदेश मंत्रियों के शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल होने के लिए 10 सितंबर को रूस की राजधानी मॉस्को जाएंगे।
यूनाइटेट स्टेट्स-इंडिया स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप फोरम की तरफ से नई चुनौतियों पर एक सेमिनार के दौरान बोलते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत चीन और पाकिस्तान दोनों सेनाओं के ‘समन्वित कार्रवाई’ से नॉर्दर्न और वेस्टर्न सीमाओं पर एक साथ खतरा बताया। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय सेना इस संयुक्त खतरे की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है।