एक टेस्ट मैच में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व क्रिकेटर सदाशिव रावजी पाटिल का मंगलवार को कोल्हापुर में उनके आवास पर निधन हो गया. वह 86 साल के थे और उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं.
कोल्हापुर जिला क्रिकेट संघ के पूर्व पदाधिकारी रमेश कदम ने पीटीआई को बताया, ‘उनका (पाटिल का) कोल्हापुर की रुईकर कॉलोनी में अपने आवास पर मंगलवार तड़के सोते हुए निधन हो गया.’ भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने पाटिल के निधन पर शोक जताया और उनके क्रिकेट सफर को याद किया जो मुख्य रूप से घरेलू क्रिकेट तक सीमित रहा.
बीसीसीआई ने विज्ञप्ति में कहा, ‘मध्यम गति के गेंदबाज पाटिल ने 1952-53 सत्र में महाराष्ट्र के लिए प्रथम श्रेणी पदार्पण करते हुए तुरंत प्रभाव छोड़ा. मुंबई के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने एक ही स्पेल में गेंदबाजी करते हुए घरेलू चैम्पियन टीम को 112 रनों पर ढेर करने में अहम भूमिका निभाई, जबकि इससे पहले महाराष्ट्र की टीम 167 रनों पर सिमट गई थी.’
विज्ञप्ति के अनुसार, ‘दूसरी पारी में उन्होंने 68 रन देकर तीन विकेट चटकाए, जिससे महाराष्ट्र ने 19 रनों से जीत दर्ज की. उन्हें पॉली उमरीगर की कप्तानी में 1955 में भारत दौरे पर आई न्यूजीलैंड की टीम के खिलाफ पदार्पण (टेस्ट कैप नंबर 79) करने का मौका मिला.’ उसी टेस्ट में नारी कॉन्ट्रैक्टर और विजय मेहरा ने भी डेब्यू किया था.
सके अनुसार, ‘नई गेंद से गेंदबाजी करते हुए उन्होंने प्रत्येक पारी में एक-एक विकेट चटकाया, जबकि भारत ने पारी और 27 रनों की बड़ी जीत दर्ज की. पाटिल ने इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ पश्चिम क्षेत्र की टीम की ओर से खेलते हुए 74 रन पर 7 विकेट चटकाकर चयनकर्ताओं को प्रभावित किया.’
पाटिल इसके बाद भारत की ओर से दोबारा नहीं खेले. पाटिल ने हालांकि महाराष्ट्र की ओर से खेलना जारी रखा और लंकाशायर लीग में भी खेले जहां उन्होंने दो सत्र (1959 और 1961) में 52 मैचों में 111 विकेट चटकाए.
पाटिल ने 1952-1964 के बीच महाराष्ट्र के लिए 36 प्रथम श्रेणी मैचों में 866 रन बनाने के अलावा 83 विकेट चटकाए. उन्होंने रणजी ट्रॉफी में महाराष्ट्र की कप्तानी भी की.