पाकिस्तान के लाहौर जेल में बंद रीवा के अनिल साकेत की रिहाई हो गई है। अनिल शुक्रवार को अपने घर पहुंच सकता है। 5 साल से लापता अनिल के लाहौर जेल में बंद होने की खबर बीते साल आई थी। जिले के छदनहाई गांव के अनिल साकेत सहित भारत के 320 बंदियों की विदेश मंत्रालय की पहल पर पाकिस्तान से रिहाई हुई है। अनिल 13 सितंबर को रिहा होकर 14 को बाघा बार्डर पंहुचा। 16 को विशेष बस से उसे रिहा किए गए अन्य बंदियों के साथ ग्वालियर रवाना किया गया। 18 सितंबर को अपने घर पहुंचेगा।
अनिल के गुमशुदा होने की रिपोर्ट उनके पिता बुद्धसेन साकेत ने 10 जनवरी 2015 को लिखाई थी। घर के लोग उसके लौटने की उम्मीद छोड़ चुके थे। पत्नी की दूसरी शादी हो चुकी थी। इसी बीच बीते साल पता चला कि वह तो लाहौर जेल में बंद हैं। बताया गया कि वह भटकते-भटकते पाकिस्तान की सीमा में चला गया था। जहां उसे जेल में डाल दिया गया।
अनिल के लाहौर जेल में बंद होने की खबर प्रकाश मे आने के बाद सांसदों ने उसकी वापसी के लिए आवाज उठाई। सांसद जनार्दन मिश्र के साथ ही राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल ने अपने-अपने स्तर पर मामले उठाए। राजमणि पटेल ने 15 जुलाई 2019 को यह मामला राज्यसभा मे उठाया था। उन्होंने विदेश मंत्री से इस मुद्दे पर तत्काल पहल करने की मांग की थी।
अनिल साकेत की मां पंचू देवी आज भी अपने बेटे का लौटने का रोज इंतजार करती है और दरवाजे पर इस इंतजार में बैठी रहती है कि कभी ना कभी उसका बेटा घर लौट आएगा। बता दें कि जब महिला अपने गांव से बाहर जाती है तो बेटे की फोटो साथ ले जाती है और लोगों को तस्वीर दिखाकर उसके बारे में पूछने लग जाती है। मां पंचू देवी कहती हैं कि वह बीमार रहता था, खूब दवाई कराई ठीक नहीं हुआ तो झाड़-फूंक करा रहे थे तभी लापता हो गया। ढूंढ़ते रहते थे, मिलने की उम्मीद थी। पुलिस आधार कार्ड और अंकसूची ले गई है। बेटा कब लौटेगा नहीं मालुम, सरकार कुछ करे।
जून 2019 में भारत सरकार के विदेश विभाग मंत्रालय ने रीवा पुलिस को एक चिट्टी भेजी। जिसमें अनिल साकेत के 3 साल से लाहौर जेल में बंद होने की खबर थी और उसके बारे में जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद युवक की जानकारी पाकिस्तान को दी गई और उसके भारत लाने की कवायद तेज कर दी गई। पुलिस को युवक के परिजन ने बताया था कि उनका बेटा अनिल मानसिक रूप से कमजोर था, कभी वह अपने घर का रास्ता भूल जाता था। इसलिए आशंका है कि भटकते-भटकते वह देश की सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया होगा। उसकी दिमागी हालत की जानकारी पाकिस्तान को दी गई थी। जिसके बाद उसे वापस भेजने की तैयारी की।
अनिल के लापता हो जाने से पिता बुद्धसेन का पूरा परिवार बिखर गया। उनकी दो बेटियों और छोटे बेटे का अभी तक विवाह नहीं हो पाया है। वहीं अनिल के जाने के डेढ़ साल पहले उसका विवाह हो गया था। पत्नी ने तीन साल तक उसका इंतजार किया। लेकिन जब वह नहीं लौटा तो उसको मृत समझकर पत्नी मायके चली गई। वह और ज्यादा इंतजार नहीं कर पाई। मायके में उसके परिजन ने उसका दूसरा विवाह कर दिया।