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दक्षिण दिशा क्यों मानी जाती है अशुभ? ये बातें जानने के बाद कभी नहीं उठाएंगे नुकसान…

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दक्षिण दिशा (Vastu dosh) मुख्य चार दिशाओं में से एक मानी जाती है. यह यम देवता और पितरों की दिशा मानी जाती है. ज्योतिष में दक्षिण दिशा मंगल से सम्बन्ध रखती है. इस दिशा को सामान्यतः अच्छा नहीं माना जाता है. लोग दक्षिण मुख वाले प्लॉट या मकान खरीदने से बचते हैं. लोगों की मान्यता है कि दक्षिण मुख वाले मकान में रहने से जीवन में समस्याएं आनी शुरू हो जाएंगी.

दक्षिण दिशा क्या अशुभ दिशा है?
दक्षिण दिशा सबके लिए अशुभ नहीं होती है. यह दिशा शक्ति साहस और अपार धन देती है. मंत्र शक्ति और साधना के लिए यह दिशा विशेष फलदायी होती है. घर के मुखिया को घर के दक्षिण दिशा में रहना विशेष शुभ होता है. इस दिशा के तीन हिस्से हैं- दक्षिण, दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम.

दक्षिण-पूर्व दिशा का महत्व क्या है?
यह दिशा अग्नि की मुख्य दिशा मानी जाती है. इसको आग्नेय दिशा कहा जाता है. यहां रसोई घर या अग्नि के उपकरण रखना अच्छा होता है. इस स्थान पर बच्चों के कमरे बनाए जा सकते हैं. सामान्यतः यहाँ पर दम्पत्तियों को नहीं रहना चाहिए.

दक्षिण-पश्चिम दिशा का क्या महत्व है?
यह पृथ्वी तत्व की मुख्य दिशा है. इसको नैऋत्य दिशा कहा जाता है. यह धन का सबसे बड़ी दिशा मानी जाती है. इस स्थान पर घर के मुखिया का स्थान रहना अच्छा होता है. इस स्थान पर तिजोरी या धन की आलमारी रखना अच्छा होता है.

दक्षिण दिशा का लाभ कैसे उठाएं?
दक्षिण दिशा को हमेशा भारी रखें. इस दिशा में इलेक्ट्रॉनिक्स सामान रखें. धन और कीमती सामान इसी दिशा में रखें. अगर कुंडली में अग्नि और मंगल ठीक हैं तो इस दिशा का मकान ले सकते हैं. अगर दक्षिणमुखी फ्लैट है तो चिंता की कोई बात नहीं है. अगर दक्षिणमुखी मकान है तो घर में हनुमान जी की पूजा करें. घर का रंग नीला या सफेद रखें.

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