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अनिल कुंबले

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अनिल कुंबले जन्म- 17 अक्टूबर, 1970, बंगलौर, कर्नाटक भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ियों में से एक हैं। अनिल कुंबले भारत के पहले स्पिनर तथा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने सीमित ओवर वाले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 200 विकेट का आंकड़ा पार किया था। साथ ही अनिल कुंबले भारत के लिये सबसे ज्‍यादा टेस्ट विकेट (619) लेने वाले गेंदबाज़ हैं। कुंबले अपने जज्बे के लिए मशहूर हैं। 2002 में टूटे हुए जबड़े के साथ भी ज़रूरत पड़ने पर कुंबले ने गेंदबाजी की थी और ब्रायन लारा के रूप में भारत को बड़ी सफलता दिलाई थी। कुंबले को ‘जंबो’ के नाम से भी जाना जाता है। गौरतलब है कि कुंबले टीम इंडिया के कप्तान के अलावा कोच भी रह चुके हैं।

परिचय
अनिल कुंबले का जन्म 17 अक्टूबर, 1970 को बंगलौर, कर्नाटक में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘कृष्णा स्वामी’ और माता ‘सरोजा’ है। लम्बाई के कारण अनिल ‘जंबो’ नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इन्होंने नेशनल कॉलेज बसावनागुडी से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात् 1992 में राष्ट्रीय विद्यालय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है।

खेल जीवन
अनिल कुंबले ने बल्लेबाज के रूप में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। 1990 में जब वह अंडर-19 टीम में खेल रहे थे, उसी समय पाकिस्तानी की अंडर-19 टीम भारत दौरे पर आई। यूथ टेस्ट मैच में उन्होंने पहली पारी में शानदार 113 रन बनाए। इसके बाद उनका चयन भारतीय टीम में हुआ। उसी साल उन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्राफर्ड में ग्राहम गूच की इंग्लिश टीम के ख़िलाफ़ खेलते हुए अपने पहले मैच में 3 विकेट लिए थे। इसके पश्चात् टेस्ट मैच में खेलने के लिए अनिल कुंबले को सवा वर्ष तक इंतजार करना पड़ा। फिर उन्होंने 1992-93 में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध टेस्ट मैच खेला। इस बार के दक्षिण अफ्रीका तथा जिम्बाब्बे के दौरे में अनिल कुंबले सफल खिलाड़ियों में से एक थे। उसके पश्चात् भारतीय क्रिकेट टीम में उनका महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कुंबले अपने आदर्श चन्द्रशेखर की भाँति ही खेलों में सफल रहे हैं। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अच्छी पहचान बनाई। कुंबले पारंपरिक स्टाइल से हटकर स्पिनर हैं जो कभी ‘गुगली’ गेंद फेंकते हैं और कभी ‘मीडियम पेस फास्ट’ गेंद फेंकते हैं। वह गेंद को अधिक घुमाते नहीं हैं जो उनका अपना अलग अंदाज है। 1994 में लखनऊ टेस्ट में श्रीलंका को उनकी श्रेष्ठ गेंदबाजी का सामना करना पड़ा, जबकि आस्ट्रेलियाई टीम ने 1997-1998 में अनिल कुंबले की श्रेष्ठ गेंदबाजी का प्रदर्शन देखा।

एक पारी में 10 विकेट
अनिल ने 7 फरवरी, 1999 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर पाकिस्तान के विरुद्ध टेस्ट मैच खेलते हुए 26.3 ओवर में मात्र 74 रन देकर 10 विकेट ले लिए। दस विकेट लेकर अनिल कुंबले विश्व के ऐसे दूसरे खिलाड़ी बन गए। इससे पूर्व इंग्लैंड के ऑफ स्पिनर ‘जिम लेकर’ ने एक पारी में दस विकेट लेने का रिकार्ड बनाया था। अनिल कुंबले भारत के पहले स्पिनर तथा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने सीमित ओवर वाले अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 200 विकेट का आंकड़ा पार किया था। अनिल कुंबले के 10 विकेट लेने पर भारत ने पाकिस्तान से न केवल 2 मैच की श्रृंखला जीती वरन् अनिल कुंबले को ‘मैन ऑफ द मैच’ भी दिलाया। इसी उपलब्धि के कारण अनिल क्रिकेट के ‘हॉल ऑफ फेम’ में अपना नाम दर्ज करवा सके। 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाने वाले पहले खिलाड़ी ‘जिम लेकर’ ने अपना रिकार्ड 31 जुलाई 1956 को अर्थात् उससे 43 वर्ष पूर्व बनाया था।

कीर्तिमान
कुंबले ने 1998 में जिम्बाब्वे के विरुद्ध खेलते हुए अपने 200 विकेट पूरे किए। वह अन्तरराष्ट्रीय मैच में इतने विकेट लेने वाले प्रथम स्पिनर व द्वितीय भारतीय गेंदबाज थे। इसके पूर्व कपिलदेव ने इतने विकेट लिए थे। वह 100 टेस्ट विकेट लेने वाले खिलाड़ी भी कम समय में ही बन गए थे। उन्होंने 21 टेस्ट मैच में 100 विकेट ले लिए थे। उनका यह रिकार्ड 1995 में बना था। वह पांच वर्ष में 100 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज थे।

उन्होंने अपना प्रथम एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय मैच 25 अप्रैल, 1990 को शारजाह में खेला था जो श्रीलंका के विरुद्ध खेला गया था। 1994 में उन्होंने न्यूजीलैंड के विरुद्ध 10 ओवर में 33 रन पर 5 विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया। ‘विल्स वर्ल्ड कप’ में वह अत्यन्त सफल गेंदबाज रहे। अनिल कुंबले ने ‘रणजी ट्रॉफी’ में कर्नाटक टीम की कप्तानी की। ‘ईरानी कप’ में उन्होंने 13 विकेट लिए। 1997 में भारत के दक्षिण अफ्रीका दौरे में खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें खेल से आराम दे दिया गया। फिर उन्हें श्रीलंका के विरुद्ध खेलने के लिए पुन: टीम में शामिल किया गया। अनिल ने 1999 के ‘विश्व कप’ में भी भारतीय टीम में भाग लिया था।

सम्मान एवं पुरस्कार
मृदुभाषी अनिल कुंबले को 1995 में भारत सरकार द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।

क्रिकेट से संन्यास
अनिल कुंबले ने मार्च, 2007 में अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। क्रिकेट से विदाई के वक़्त उन्होंने कहा- “क्रिकेट महज खेल है। जब आप खेलते हैं और जीत या हार जाते हैं, तब यह खेल से कहीं बड़ा लगता है। लेकिन जब आप घर वापस जाते हैं, अपने परिवार और बच्चों को देखते हैं, तब लगता है कि नहीं, यह सिर्फ खेल ही है, उससे ज़्यादा नहीं।”

उपलब्धियां

  1. अनिल कुंबले उन गिने-चुने भारतीय खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने सबसे कम समय में 21 टेस्ट खेले और 100 विकेट लिये।
  2. कुंबले प्रथम स्पिनर तथा द्वितीय भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 1998 में 200 एकदिवसीय विकेट लेने का आंकड़ा पार किया।
  3. 1999 में पाकिस्तान के विरुद्ध दिल्ली में खेलते हुए अनिल कुंबले ने 26.3 ओवर में 74 रन देकर 10 विकेट लेने का करिश्मा कर दिखाया। वह ऐसा करने वाले विश्व के दूसरे खिलाड़ी थे।
  4. अनिल 1995 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ दिया गया।
  5. कुंबले ने कुल 132 टेस्ट मैच खेले, जिनमें कुल 619 विकेट लिये।
  6. एकदिवसीय मैचों से संन्यास लेने तक अनिल ने कुल 271 वन डे मैच खेले जिसमें उन्होने 337 विकेट लिये। 

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