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लक्ष्मी मल्ल सिंघवी

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लक्ष्मी मल्ल सिंघवी जानेमाने भारतीय कवि, लेखक, भाषाविद, संविधान विशेषज्ञ और प्रसिद्ध न्यायविद थे। उन्होंने हिन्दी के वैश्वीकरण और हिन्दी के उन्नयन की दिशा में सजग, सक्रिय और ईमानदार प्रयास किए। वे भारतीय संस्कृति के राजदूत, ब्रिटेन में हिन्दी के प्रणेता और हिन्दी-भाषियों के लिए प्रेरणा स्रोत थे। जैन धर्म के इतिहास और संस्कृति के जानकार के रूप में मशहूर लक्ष्मी मल्ल सिंघवी ने कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें से अनेक हिन्दी में हैं। भारत सरकार उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।

परिचय
लक्ष्मी मल्ल सिंघवी का जन्म 9 नवम्बर, 1931 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था। सन 1962 से 1967 तक तीसरी लोक सभा के सदस्य सिंघवी ने 1972 से 1977 तक राजस्थान के एडवोकेट जनरल तथा अनेक वर्षों तक यूके में भारत के राजदूत पद पर कार्य किया। 1999 में वे राज्य सभा के सदस्य भी चुने गए। लक्ष्मी मल सिंघवी ने नेपाल, बांग्लादेश और दक्षिण अफ़्रीका के संविधान रचे। उन्हें भारत में अनेक लोकपाल, लोकायुक्त संस्थाओं का जनक माना जाता है

उच्च पदों पर कार्य
सिंघवी ‘संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार अधिवेशन’ और ‘राष्ट्रकुल (कॉमनवेल्थ) विधिक सहायता महासम्मेलन’ के अध्यक्ष तथा विशेषज्ञ रहे। वे ब्रिटेन के सफलतम उच्चायुक्त माने जाते हैं। वे सर्वोच्च न्यायालय में बार एसोसिएशन के चार बार अध्यक्ष रहे। उन्होंने ‘विधि दिवस’ का शुभारंभ किया था।

हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान
डॉ. लक्ष्मी मल्ल सिंघवी ने हिन्दी के वैश्वीकरण और हिन्दी के उन्नयन की दिशा में सजग, सक्रिय और ईमानदार प्रयास किए। भारतीय राजदूत के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भारतीयता को पुष्पित करने का प्रयास तो किया, और साथ ही अपने देश की भाषा के माध्यम से न केवल प्रवासियों अपितु विदेशियों को भी भारतीयता से जोड़ने की कोशिश की। वे संस्कृतियों के मध्य सेतु की तरह अडिग और सदा सक्रिय रहे। वे भारतीय संस्कृति के राजदूत, ब्रिटेन में हिन्दी के प्रणेता और हिन्दी-भाषियों के लिए प्रेरणा स्रोत थे। विश्व भर में फैले भारतवंशियों के लिए ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ मनाने की संकल्पना डॉ. सिंघवी की ही थी। वे ‘साहित्य अमृत’ के संपादक रहे और अपने संपादन काल में उन्होंने विद्यानिवास मिश्र की स्वस्थ साहित्यिक परंपरा को गति प्रदान की।

लेखन कार्य
भारतीय डायसपोरा की अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष लक्ष्मी मल्ल सिंघवी ने अनेक पुस्तकों की रचना भी की। वे कई कला तथा सांस्कृतिक संगठनों के संरक्षक भी थे। जैन इतिहास और संस्कृति के जानकार के रूप में मशहूर लक्ष्मी मल्ल सिंघवी ने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें से अनेक हिन्दी में हैं। सिंघवी प्रवासी भारतीयों की उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष भी रहे। विधि और कूटनीति की कूट एवं कठिन भाषा को सरल हिन्दी में अभिव्यक्त करने में उनका कोई सानी नहीं था। ‘विश्व हिन्दी सम्मेलन’ के आयोजनों में सदा उनकी अग्रणी भूमिका रहती थी।

पुरस्कार व सम्मान
लक्ष्मी मल्ल सिंघवी को वर्ष 1998 में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए ‘पद्म भूषण’ से अलंकृत किया गया था। 8 दिसम्बर, 2008 को ‘भारतीय डाकतार विभाग’ ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया था।

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