सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिये जरूरी है कि नोडल एजेंसियाँ दुर्घटना के कारणों के निवारण के उपाय खोजकर समन्वयपूर्वक कार्य करें। पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (पीटीआरआई) अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री डी.सी. सागर ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय वर्चुअल कोर्स ‘रोड सेफ्टी : एन ओवरव्यू” के शुभारंभ पर संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिये वाहनों के निर्माण में नये फीचर्स जैसे- वाहन चालक द्वारा सीट बेल्ट नहीं लगाये जाने पर वाहन ही स्टार्ट न हो इत्यादि को शामिल करना जरूरी है।
एडीजी श्री सागर ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट अनुसार प्रत्येक 25 सेकेण्ड में एक व्यक्ति की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो रही है। सड़क दुर्घटनाओं के मामले में हमारा देश तीसरे स्थान पर है। घायलों की संख्या में भी हम तीसरे स्थान पर हैं, जबकि दुर्घटनाओं में मृत्यु में हम प्रथम स्थान पर हैं। यह बहुत चिंताजनक है कि हम सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के प्राणों की रक्षा में पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि घायलों और पीड़ितों की मदद करने वाले ‘नेक व्यक्ति” को कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है। इसके अनुसार उनसे अस्पताल या पुलिस विभाग उसकी मर्जी के बगैर अनावश्यक जाँच-पड़ताल नहीं कर सकता है। बावजूद इसके दुर्घटना के पश्चात ‘गोल्डन ऑवर” में पीड़ितों की हरसंभव मदद करने में आमजन के मन में झिझक बनी हुई है, जिसे समाप्त करना जरूरी है। इससे लोगों की प्राण रक्षा की जाकर दुर्घटना में होने वाली मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा।
भादवि और मोटर-वाहन अधिनियम में कार्यवाही करें
एडीजी श्री सागर ने नोडल एजेंसियों को सड़कों की खुदाई करने के बाद मरम्मत नहीं करने वालों के विरुद्ध भारतीय दण्ड विधान संहिता और मोटर-वाहन अधिनियम अंतर्गत किये गये प्रावधानों के मुताबिक कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा है कि सड़क निर्माण के पश्चात अन्यान्य कारणों से की जाने वाली सड़क खुदाई और कटिंग के पश्चात समय पर मरम्मत नहीं होने से सड़कें दुर्घटना का सबब बनती हैं। खुदाई करने वाले व्यक्तियों अथवा संस्थाओं के विरुद्ध नियमानुसार कठोरतम कार्यवाही की जाना चाहिये।
राजमार्गों पर मृत्यु दर चिंताजनक
एडीजी श्री सागर ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक 35 प्रतिशत दुर्घटनाएँ राजमार्गों पर दर्ज की जा रही हैं, जो कि अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने नेशनल हाई-वे अथॉरिटी के नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे नियमानुसार राजमार्गों पर निश्चित दूरी पर रेस्ट-रूम और पार्किंग की व्यवस्था भी सुनिश्चित करें। श्री सागर ने स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारियों को इन राजमार्गों पर दुर्घटना पीड़ितों के समय पर समुचित उपचार के लिये ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिये आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
एजेंसियाँ समन्वयपूर्वक कार्य करें, जागरूकता बढ़ायें
एडीजी श्री सागर ने सभी नोडल एजेंसियों को समन्वयपूर्वक कार्य करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि एजेंसियाँ रोड एक्सीडेंट के कारणों की जाँच कर निवारण के समुचित उपाय करें। दुर्घटना स्थलों के निरीक्षण के दौरान पाई जाने वाली कमियों को संबंधित विभागों द्वारा त्वरित उपाय कर सुधारा जाना चाहिये, जिससे अन्य स्थानों पर होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके। दुर्घटनाओं से सुरक्षा, बचाव और दुर्घटना के पश्चात जान-माल की हानि को रोकने के लिये जन-जागरूकता का प्रसार निरंतर सभी के द्वारा किया जाना आवश्यक है, जिससे कि मृत्यु दर में कमी के 50 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया जा सके।