भगवान दत्तात्रेय त्रिदेवों के संयुक्त स्वरूप माने जाते हैं. इनके अंदर गुरु और ईश्वर, दोनों का स्वरूप, निहित माना जाता है. इनके तीन मुख और छह हाथ हैं और स्वरूप त्रिदेवमय है. इनके साथ कुत्ते और गाय भी दिखाई देते हैं. इन्होने अपने चौबीस गुरु माने हैं, जिसमें प्रकृति, पशु पक्षी और मानव शामिल हैं. इनकी उपासना तत्काल फलदायी होती है और इससे शीघ्र कष्टों का निवारण होता है.
इनकी पूजा से क्या विशेष वरदान मिल सकता है?
व्यक्ति गलत संगति और गलत रास्ते से बच जाता है. संतान और ज्ञान प्राप्ति की कामना पूर्ण हो जाती है. इनकी पूजा से व्यक्ति के ऊपर किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता है. व्यक्ति को जीवन में एक मार्गदर्शक जरूर मिलता है. इनकी पूजा से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं. व्यक्ति सन्मार्ग पर चलने लगता है.
कैसे करें भगवान दत्तात्रेय की उपासना?
भगवान दत्तात्रेय के चित्र या प्रतिकृति की स्थापना करें. उन्हें पीले फूल और पीली चीज़ें अर्पित करें. इसके बाद उनके मंत्रों का जाप करें. अपनी कामना पूर्ति की प्रार्थना करें. हो सके तो इस दिन एक वेला उपवास भी रखें. इस बार भगवान दत्तात्रेय की जयंती 29 दिसंबर को है.
शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 29 दिसम्बर, सुबह 07 बजकर 54 मिनट से ( 2020)
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 30 दिसम्बर, सुबह 8 बजकर 57 मिनट तक
किन मंत्रों का जाप इस दिन करना विशेष लाभकारी होता है?
– ॐ द्रां दत्तात्रेयाय स्वाहा
– ॐ महानाथाय नमः