लव जिहाद को रोकने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा लाए गए धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने स्वीकृति दे दी है। मंत्रिपरिषद के अनुमोदन के बाद स्वीकृति के लिए अध्यादेश के मसौदे को विशेष वाहक के माध्यम से उत्तर प्रदेश राजभवन भेजा गया था। वहां गुरुवार को इसे मंजूरी मिल गई है। इसकेसाथ ही करीब एक दर्जन अन्य अध्यादेशों को भी स्वीकृति मिल गई। अब संबंधित विभाग विधि विभाग से परिमार्जन करवाकर राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित कराएंगे। इसके साथ ही ये सभी अध्यादेश प्रभावी हो जाएंगे।
माना जा रहा है कि तीन-चार दिन में यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश के अलावा मिलावटखोरी रोकने के लिए दंड विधि में संशोधन करके आजीवन कारावास सहित अन्य कड़े प्रविधान वाला अध्यादेश भी बनाया गया है। राजभवन के अधिकारियों ने राज्यपाल द्वारा अध्यादेशों को स्वीकृति दिए जाने की पुष्टि की है। गौरतलब है कि आनंदी बेन पटेल उत्तर प्रदेश की भी राज्यपाल हैं।
श्ािवराज सरकार ने लव जिहाद को रोकने के लिए उक्त धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में कड़े प्रविधान किए हैं। प्रलोभन देकर, बहलाकर, बलपूर्वक या मतांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से लेकर दस साल के कारावास और अधिकतम एक लाख रुपये तक अर्थदंड से दंडित किया जाएगा। अधिनियम के तहत गलत व्याख्या करके अपना मत छुपाकर विवाह करने पर सख्त कार्रवाई होगी।
विधि एवं विधायी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्यपाल की स्वीकृति के बाद अब आगामी कार्रवाई करने के लिए कैबिनेट ने विभागों को अधिकृत कर दिया है। अध्यादेश को विभाग परिमार्जन कराकर राजपत्र में अधिसूचना निकालवाएंगे। इसके साथ ही अधिनियम के प्रविधान लागू हो जाएंगे। अध्यादेशों को विधानसभा के बजट सत्र में विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
लव जिहाद के अलावा प्रदेश में मिलावटखोरी को रोकने के लिए दंड विधि (मध्य प्रदेश) संशोधन लागू किए जाएंगे। इसके लिए अध्यादेश में भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 272 से 276 में संशोधन करके छह माह के कारावास और एक हजार रुपये के अर्थदंड की जगह आजीवन कारावास तक की सजा का प्रविधान किया है। एक्सपायरी डेट (उत्पाद के उपयोग की समयावधि खत्म) के बाद सामग्री की बिक्री पर पांच साल तक का कारावास और एक लाख रुपये तक के अर्थदंड से दंडित किया जा सकता है।
इस अध्यादेश को अब केंद्र सरकार को भेजा जाएगा क्योंकि आइपीसी की धारा में स्थानीय संशोधन किया गया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए प्रथम अनुपूरक अनुमान को भी स्वीकृति मिल गई है। इसके अलावा मध्य प्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, वेट (द्वितीय संशोधन), मोटर स्पिरिट उपकर, हाई स्पीड डीजल उपकर, सहकारी सोसायटी, भोज मुक्त विश्वविद्यालय, डॉ.बीआर आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, पंडित एसएन शुक्ला विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय संशोधन अध्यादेश को भी स्वीकृति दी गई है।
धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश में यह प्रविधान
– महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति का मतांतरण करवाने पर कम से कम दो तथा अधिकतम दस साल के कारावास तथा कम से कम पचास हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा।
– सामूहिक मतांतरण, दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक ही समय मतांतरण अध्यादेश के प्रविधानों के विरुद्ध होगा। उल्लंघन पर कम से कम पांच और अधिकतम 10 साल का कारावास तथा कम से कम एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा।
– मतांतरण के मामले में शिकायत माता, पिता, भाई-बहन को पुलिस थाने में करनी होगी। अभिभावक भी प्रकरण दर्ज करा सकेंगे।
– इसके तहत दर्ज अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा। इसकी सुनवाई सत्र न्यायालय में होगी।
– मूल मत में वापसी को मतांतरण नहीं माना जाएगा। मूल मत वह माना जाएगा, जो जन्म के समय पिता का मत होगा।
– पीड़ित महिला एवं उससे जन्मे बच्चों को भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार होगा। बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी भी माना जाएगा।
– उपनिरीक्षक स्तर से नीचे का अधिकारी जांच नहीं कर सकेगा।
– अध्यादेश में निर्दोष होने के सुबूत प्रस्तुत करने की बाध्यता अभियुक्त पर रखी गई है।
– मतांतरण करवाने वाली संस्था के सदस्यों के खिलाफ भी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के समान ही सजा दी जाएगी।
– स्वेच्छा से मतांतरण करने और करवाने वाले को 60 दिन पहले कलेक्टर को इसकी सूचना देनी होगी।