भोपाल के पीपुल्स अस्पताल ने कोवैक्सिन ट्रायल को लेकर सफाई दी है। प्रबंधन का कहना है कि अब तक टीकाकरण के बाद किसी को खास बीमारी सामने नहीं आई, वहीं एक वॉलंटियर का लगातार 7 दिन तक फॉलोअप लिया गया। प्रबंधन के अनुसार पहले डोज का टीका 27 नवंबर को लगाया था, जबकि आखिरी टीका 4 जनवरी को लगाया गया।
इस दौरान 1722 वॉलंटियर पर ट्रायल किया गया। इसमें भी खास बात है, पहले 6 दिन केवल 45 लोगों को ही टीका लग सका था। मतलब, हर दिन औसतन करीब 8 लोगों को ही टीका लग सका था। प्रबंधन का कहना था, प्रक्रिया के कारण इसमें अधिक समय लग रहा है, इसलिए रफ्तार धीमी है।
पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डीन अनिल दीक्षित ने बताया कि एक वॉलंटियर के रजिस्ट्रेशन से लेकर टीका लगाने तक करीब 3 घंटे लगते हैं। हालांकि इसके बाद अगले 33 दिन में कुल 1677 लोगों को टीका लगा दिया गया। मतलब, हर दिन औसतन 50 से अधिक लोगों को टीका लगाया गया। इसी कारण ट्रायल की पूरी प्रक्रिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अब तक टीका लगाने के दौरान कोरोना का टेस्ट कराने वाले 26 वॉलंटियर भी पॉजिटिव आ चुके हैं, जबकि एक की मौत हो चुकी है।
फैक्ट फाइल
पहले डोज का पहला टीका | 27 नवंबर 2020 |
पहले डोज का अंतिम टीका | 4 जनवरी 2021 |
कुल टीके लगे | 1722 |
कोरोना पॉजिटिव निकले | 26 |
दूसरा डोज अब तक | 731 को लग चुका |
दूसरा डोज इन्हें नहीं लगेगा | 27 लोगों को |
टीका लगाने वाली टीम | 60 लोगों की |
फाॅलोअप लेने वाली टीम | 8 लोगों की |
निगरानी टीम | 8 लोगों की |
महिला वॉलंटियर | करीब 30% |
पुलिस वॉलंटियर | करीब 70% |
60 लोगों की टीम कर रही काम
दीक्षित ने बताया, रजिस्ट्रेशन से लेकर मेडिकल जांच, काउंसलिंग, टीका लगाना और ऑब्जर्वेशन में देखरेख के लिए अस्पताल प्रबंधन की 60 लोगों की टीम है। इसमें डॉक्टरों से लेकर सभी तरह का स्टाफ है। यह टीम सुबह 10.30 बजे से लेकर रात 11 बजे तक कार्य कर रही है।
8 लोग ने 273 घंटों में किया 12054 कॉल
दीक्षित ने बताया, वॉलंटियर का फाॅलोअप लेने के लिए 8 लोगों की टीम लगाई गई है। यह सुबह 9 बजे से लेकर 4 बजे तक टीका लगवाने वालों को कॉल करते हैं। एक वॉलंटियर को लगातार 7 बार कॉल किया गया। इसका मतलब 1722 लोगों को 12054 कॉल किया गए। यह कॉल 39 दिन में 237 घंटों में किए।
इस तरह है पूरी प्रक्रिया
रजिस्ट्रेशन : इसमें वॉलंटियर की पूरी जानकारी ली जाती है। इसमें उसके नाम पता, फोन नंबर और बीमारियों के बारे में फॉर्म में भरा जाता है।
काउंसलिंग : लोगों को कम से कम 30 मिनट तक ट्रायल के बारे में बताया जाता है। उनकी सहमति के बाद ही उनका आगे बढ़ाया जाता है।
मेडिकल जांच : इस प्रक्रिया में वॉलंटियर कर शुगर से लेकर वीपी और अन्य तरह की जांच की जाती है।
कोरोना टेस्ट : सभी तरह की जांच के बाद वॉलंटियर के खून का सैंपल और कोरोना टेस्ट किया जाता है।
टीका लगा : टीका लगाने के दौरान एक बार फिर उसे टीका लगाने के बाद होने वाली बीमारियों और परेशानियों के बारे में बताया जाता है।
निगरानी : टीका लगाने के बाद वॉलंटियर को कम से कम 30 मिनट निगरानी में अलग रखा जाता है। अगर कोई समस्या होती है, तो यह समय बढ़ा दिया जाता है।