हिन्दू धर्म में कुंभ मेले (Kumbh Mela 2021) का विशेष महत्व है. इस मेले में करोड़ों तीर्थयात्री हिस्सा लेते हैं. इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक सम्मेलन भी कहा जाता है. इस बार कुंभ मेले का आयोजन 14 जनवरी से हरिद्वार (Haridwar Kumbh 2021) में हो रहा है. मकर संक्रांति के दिन कुंभ स्नान का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कुंभ मेला के प्रमुख स्नान
इस बार कुंभ मेले में 6 प्रमुख स्नान हैं जिसमें पहला स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा. स्नान के अलावा मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य जैसे कार्यों का भी विशेष महत्व माना जाता है. कुंभ का दूसरा स्नान 11 फरवरी को मौनी अमावस्या पर, तीसरा स्नान 16 फरवरी को बसंत पंचमी पर, चौथा स्नान 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा की तिथि पर, पांचवां स्नान 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर और छठवां प्रमुख स्नान 21 अप्रैल को राम नवमी पर होगा. हालांकि, कुंभ मेले में स्नान के लिए कोविड की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी.
कुंभ स्नान का महत्व
मान्यता है कि कुंभ में स्नान करने से हर तरह की बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के साथ गुरु, शनि, बुध और चंद्रमा भी रहेंगे. मकर संक्रांति के दिन इन 5 ग्रहों के योग से कुंभ का पहला स्नान और भी विशेष हो जाएगा. कुंभ में स्नान, दान और पूजा से जीवन में सुख शांति और समृद्धि आती है.
शाही स्नान की तारीखें
कुंभ में शाही स्नान का का भी विशेष महत्व होता है. इस बार कुंभ का शाही स्नान हरिद्वार में होगा. मान्यता है कि शाही स्नान अगर शुभ मुहूर्त में किया जाए तो ये अधिक फलदायी साबित होता है. यह मुहूर्त सुबह करीब 4 बजे शुरू हो जाता है, इस बार कुंभ में 4 शाही स्नान हैं.
पहला शाही स्नान: 11 मार्च शिवरात्रि
दूसरा शाही स्नान: 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या
तीसरा मुख्य शाही स्नान: 14 अप्रैल मेष संक्रांति
चौथा शाही स्नान: 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा