देश में 16 जनवरी से कोरोना के खिलाफ बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू की जानी है. सबसे पहले हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्करों को वैक्सीन लगाई जानी है. ऐसे में सूत्रों के हवाले से जानकारी है कि पहले चरण में वैक्सीन लेने वाले 1 करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारी और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्करों की कोरोना वैक्सीन का खर्च PM Cares फंड से लिया जाएगा.
पिछले हफ्ते ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ की कोरोना वैक्सीन ‘Covishield’ और ‘भारत बायोटेक’ की वैक्सीन ‘Covaxin’ के इमरजेंसी यूज़ की अनुमति मिली थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने देश में 16 जनवरी से शुरू होने वाले टीकाकरण अभियान के लिए टीके की छह करोड़ से अधिक खुराक खरीदने का ऑर्डर दिया था. इस ऑर्डर की कुल कीमत करीब 1,300 करोड़ रुपए होगी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में कहा था कि कोविड-19 के लिए टीकाकरण पिछले तीन-चार हफ्तों से लगभग 50 देशों में चल रहा है और अब तक केवल ढाई करोड़ लोगों को टीके लगाए गए हैं जबकि भारत का लक्ष्य अगले कुछ महीनों में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाना है.
अब जानकारी है कि हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाने का खर्च पीएम केयर्स फंड से उठाया जाएगा. पीएम केयर्स फंड की स्थापना कोरोनावायरस संक्रमण के शुरू होने के बाद की गई थी. हालांकि, इसकी स्थापना, नियमों और वैधता को लेकर बड़े सवाल उठाए जा चुके हैं.
PM CARES Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund को 27 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थापित किया था, ताकि कोरोना की महामारी के दौरान किसी भी आपात स्थिति के लिए धन का प्रबंध किया जा सके. हालांकि, इसके स्वामित्व को लेकर सवाल हैं. पहले इसे निजी फंड बताया गया था, फिर दिसंबर में एक आरटीआई के जवाब में कहा गया कि यह एक सार्वजनिक निकाय है. सरकार ने कहा था कि सरकार ने कहा है कि पीएम-केयर्स भारत सरकार का, उसके द्वारा स्थापित और नियंत्रित संस्थान है. लेकिन यह सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में नहीं आता, क्योंकि यह निजी फंड को स्वीकार करता है.