पश्चिम बंगाल में तेजी से मजबूत हो रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रथ को रोकने के लिए हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत राय ने कांग्रेस और सीपीएम को टीएमसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की अपील की था। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने उन्हें अपनी पार्टी को मर्ज करने की नसीहत दे डाली। इस बीच लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीररंजन चौधरी ने कहा है कि ममता बनर्जी समझ रही हैं कि बंगाल में BJP को रोकने के लिए उनके पास कोई चारा नहीं है। BJP के खिलाफ लड़ने के लिए ममता बनर्जी की नहीं बल्कि कांग्रेस की अगुवाई में आना आवश्यक है।
इससे पहले अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ टीएमसी को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था, ”हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है। अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ने को इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।”
तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा की ”सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति” के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की थी। हालांकि, दोनों दलों ने इस सलाह को सिरे से खारिज कर दिया। कांग्रेस ने इस सलाह के बाद तृणमूल कांग्रेस को पेशकश की है कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर पार्टी (कांग्रेस) में विलय कर ले।
वाम दलों की बात करें तो लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है। माकपा नीत वाम मोर्चा को लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी जबकि कांग्रेस को उसकी कुल 42 सीटों में से पश्चिम बंगाल से सिर्फ दो सीटें मिली थीं। वहीं दूसरी ओर भाजपा को 18 सीटें मिली थी जबकि तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं। राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन को कुल 294 में से 76 सीटें मिली थीं जबि तृणमूल कांग्रेस के 211 सीटें मिली थीं।