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पौष महीने में सूर्य जल चढ़ाने से मिलती है लंबी उम्र और खत्म होती है बीमारियां….

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पौष महीने के स्वामी देवताओं में भगवान विष्णु और ग्रहों में सूर्य हैं। इस महीने से भगवान सूर्य की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इसी महीने 11 को सूर्य अपने ही नक्षत्र यानी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आ गया था और 24 जनवरी तक रहेगा। इसके बाद 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करने से उत्तरायण शुरू हो गया है। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है। इस समय सूर्य देवताओं के अधिपति होते हैं। उत्तरायण के दौरान शिशिर, वसंत और ग्रीष्म ऋतु रहती है। इस महीने में धरती के करीब होने से सूर्य का प्रभाव बढ़ जाता है। इस दौरान भग नाम के सूर्य देवता अपनी किरणों से धरती पर पेड़-पौधों और इंसानों का पोषण करते हैं।

श्रीमद्भागवपुराण में सूर्य देव
श्रीमद्भागवपुराण में बताया गया है कि स्वर्ग और पृथ्वी के बीच में जो ब्रह्मांड का केंद्र है वहीं सूर्य की स्थिति है। इसी ग्रंथ में बताया है कि सूर्य की परिक्रमा का मार्ग नौ करोड़, इक्यावन लाख योजन बताया है। सूर्य का संवत्सर नाम का एक चक्र (पहिया) है, उसमें महीने के रूप में बारह अरे हैं। ऋतु रूप में छह नेमियां हैं और तीन चौमासे रूपी तीन नाभियां हैं।

सूर्य पूजा के फायदे
मेडिकल साइंस में बताया गया है कि सूर्य की किरणों से मानसिक तनाव दूर होता है। इससे डिप्रेशन से बाहर निकलने में मदद मिलती है। सूर्य की रोशनी में खड़े होने से विटामिन डी की कमी दूर होती है। सूर्य की रोशनी से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। उगते हुए सूरज को लगातार देखने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। उगते हुए सूरज की रोशनी के शरीर पर पड़ने से ऊर्जा मिलती है।

वेदों और उपनिषद में सूर्य

  1. ऋग्वेद के मुताबिक, सूर्यदेव में पापों से मुक्ति दिलाने, रोगों का नाश करने, आयु और सुख में वृद्धि करने व गरीबी दूर करने की अपार शक्ति है।
  2. यजुर्वेद का कहना है कि सूर्यदेव की आराधना इसलिए की जानी चाहिए वह मानव मात्र के सभी कामों के साक्षी हैं और उनसे हमारा कोई भी काम या व्यवहार छुपा नहीं रहता।
  3. ब्रह्मपुराण में बताया गया है कि सूर्यदेव सर्वश्रेष्ठ देवता हैं। इनकी उपासना करने वाले भक्त जो सामग्री इन्हें अर्पित करते हैं, सूर्यदेव उसे लाख गुना करके लौटाते हैं।
  4. सूर्योपनिषद के अनुसार, सभी देवता, गंधर्व और ऋषि सूर्य की किरणों में वास करते हैं। सूर्यदेव की उपासना के बिना किसी का भी कल्याण संभव नहीं है।
  5. स्कंदपुराण में कहा है कि सूर्यदेव को जल चढ़ाए बिना भोजन करना पाप कर्म के समान है।

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