मुरैना शराब कांड में 24 मौतों के बाद मध्यप्रदेश सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलोंं के अफसरों से बात की। उन्होनें कहा कि अवैध शराब बिकी तो कलेक्टर, एसपी और आबकारी अधिकारी जिम्मेदार होंगे। केवल जिले के अफसर नहीं, डिवीजनल कमिश्नर और आईजी भी जवाबदेह होंगे। माफियाओं की जड़ों में प्रहार करो, कैसे करना है आप मुझसे बेहतर जानते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध शराब का धंधा जड़-मूल से नष्ट करें। जिलों के अफसर ठान लें तो माफिया बचेगा नहीं। इनका अस्तित्व खत्म करने के लिए संयुक्त टीम बनाकर एक्शन लें। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा सिर्फ एक ही निर्देश है- माफिया बचना नहीं चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों प्रदेश के कई जिलों में अभियान चलाया जा रहा है, यह निरंतर रहना चाहिए। कई अफसरों ने बेहतर काम किया है। ऐसे अफसरों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। सूत्रों ने दावा किया है कि मुरैना शराब कांड की जांच में यह खुलासा हुआ था कि मुरैना में अवेध शराब की फैक्ट्री संचालित होने की जानकारी जिला, पुलिस और आबकारी के अफसरों को थी। बता दें कि मुरैना में जहरीली शराब से 24 लोगों की मौत के मामले में गठित एसआईटी ने 17 जनवरी को जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। इससे ठीक एक दिन पहले एसआईटी प्रमुख व गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजोरा ने सभी कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किए थे। जिसमें कहा गया था कि वैध शराब दुकानों में यदि निर्धारित रेट से ज्यादा महंगी शराब बिकती पाई गई तो इसके लिए जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा।
मुरैना मामले में प्रारंभिक तौर पर जांच में यह सामने आया कि इसका मुख्य कारण मिथाइल अल्कोहल का मिश्रण है। जिले के अंदर मिथाइल एल्कोहल ओर ओवरप्रूफ अल्कोहल का उत्पादन करने वाले लाइसेंसी कारखानों की जानकारी सूचीबद्ध की जाए। इन कारखानों से निकलने वाले स्प्रिट पर तथा जिले से हो रहे परिवहन पर पूरी तरह नियंत्रण में रखा जाए। उन्होंने निर्देंश दिए हैं कि अवैध शराब बेचने और परिवहन करने वाले पर एनएसए की कार्रवाई की जाए।