मध्य प्रदेश के ई-टेंडरिंग घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मेंटाना कंस्ट्रक्शन कंपनी के चैयरमैन श्रीनिवास राजू व उसके सहयोगी (सब कांट्रैक्टर) आदित्य त्रिपाठी को हैदराबाद में बुधवार को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने दोनों को विशेष अदालत में पेश किया। जहां से दोनों को 3 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
मेंटाना कंपनी पर मप्र सरकार के ठेकों में ऑनलाइन टेंपरिंग कर कई कंपनियों को फायदा पहुंचाने और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। सूत्रों का कहना है कि श्रीनिवास राजू के तार मप्र के पूर्व मुख्य सचिव एम गोपाल रेड्डी से जुड़ने के कारण ईडी पहले पूछताछ कर चुकी है।
बता दें कि ईडी की टीम ने 7 जनवरी को गोपाल रेड्डी के हैदराबाद स्थित आवास पर छापेमारी कर दस्तावेजों की छानबीन की थी। इसी दिन श्रीनिवास राजू से भी पूछाताछ करने के अलावा ईडी की टीम ने ई टेंडर का साफ्टवेयर डेवलप करने वाली बेंगलुरू की अंट्रेस सॉफ्टवेयर कंपनी के यहां भी सर्चिंग की थी।
दूसरी तरफ ईडी की दूसरी टीम ने भोपाल में मेंटाना कंपनी के ठिकाने तथा ऑस्मो आईटी साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के संचालक विनय चौधरी, अरुण चतुर्वेदी और सुमित गोलवलकर के यहां भी सर्चिंग की थी। बता दें कि इस मामले में मप्र ईओडब्ल्यू द्वारा अप्रैल 2019 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का प्रकरण दर्ज किया था।
ऑस्मो आईटी साल्यूशन के 3 डायरेक्टर को EOW कर चुकी है गिरफ्तार
इस मामले में मध्य प्रदेश की आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो ( EOW) ने ऑस्मो आईटी साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के 3 डायरेक्टर विनय चौधरी, वरुण चतुर्वेदी और सुमित गोलवलकर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इन पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी डिजिटल सिग्नेचर तैयार कर अपने कस्टमर कंपनी को मध्यप्रदेश के अधिकारियों की मिलीभगत से ई-टेंडर में बिडिंग कराकर काम दिलाया था। माना जा रहा है कि ईडी की टीम जल्द ही जेल में बंद ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन के तीनों डायरेक्टर्स से पूछताछ कर सकती है।
ED ने 16 ठिकानों पर मारा था छापा
दरअसल, ईडी को जब्त दस्तावेजों के आधार पर लगता है कि जो कंपनियां ई टेंडरिंग घोटाले में शामिल थीं, उन्हें कुछ समय बाद बड़े पैमाने पर भुगतान किए गए थे। अब ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या इन कंपनियों ने इन भुगतान के एवज में कुछ प्रभावशाली लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाया? इसलिए ईडी इन कंपनियों के खातों से भुगतान पाने वाले कई लोगों के बैंक खातों की भी जानकारी जुटा रही है। ईडी ने 7 जनवरी काे इसी सिलसिले में भोपाल, हैदराबाद और बेंगलुरु सहित 16 स्थानों पर छापे मारे थे।
क्या है मामला
मप्र का ई-टेंडरिंग घोटाला अप्रैल 2018 में उस समय सामने आया था जब जल निगम की तीन निविदाओं को खोलते समय कम्प्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि निविदाओं में टेम्परिंग की जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर इसकी जांच मप्र के EOW को सौंपी गई थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि जीवीपीआर इंजीनियर्स और अन्य कंपनियों ने जल निगम के तीन टेंडरों में बोली की कीमत में 1769 करोड़ का बदलाव कर दिया था। ई टेंडरिंग को लेकर ईओडब्ल्यू ने कई कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की हुई है।