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ग्‍लेशियर फटने से आई बाढ़ के बाद टनल में फंसे 30 से ज्‍यादा लोगों को बचाने के लिए छेड़ा गया अभियान…..

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उत्‍तराखंड (Uttarakhand)में रविवार को ग्‍लेशियर टूटने (Glacier burst) के कारण आए एवेलांच में फंसे 30 से ज्‍यादा लोगों को बचाने के लिए एक सुरंग (Tunnel) में बड़े स्‍तर पर बचाव अभियान शुरू किया गया है. इस आपदा से नदियों में बाढ़ (Flood) आ गई. अब तक 18 लोगों की मौत हुई है जबकि 200 से अधिक लापता हैं. चमोली की 12 फीट ऊंची और 15 फीट चौड़ी तपोवन टनल मलबे और कीचड़ से भरी हुई है और इसके अंदर श्रमिक फंसे हुए हैं. यह सुरंग करीब 1.6 मीटर लंबी है और इसकी केवल एक एंट्री है. अधिकारियों के अनुसार, यह पता लगाना मुश्किल है कि श्रमिक कहां फंसे हैं और ये एक साथ हैं या अलग-अलग.

मिशन को अंजाम देने के लिए सैकड़ों कर्मचारियों और स्‍थानीय लोगों द्वारा कुदाली और फावड़े का इस्‍तेमाल किया जा रहा है. भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस (ITBP), नेशनल डिजास्‍टर रिस्‍पांस फोर्स NDRF) और स्‍टेट डिजास्‍टर टीम रात से टनल का मलबा साफ करने और लोगों को बचाने के अभियान में जुटी है.

न्‍यूज एजेंसी पीटीआई ने आईटीबीपी के प्रवक्‍ता विवेक कुमार पांडे के हवाले से बताया, ‘टनल के अंदर करीब 100 मीटर का एरिया साफ कर लिया है और यहां पहुंचा जा सकता है. अभी 100 मीटर एरिया के मलबे को और साफ किया जाना है, इस काम में कुछ और घंटे लग सकते हैं.’ बचावकर्ताओं को लकड़ी के बोर्डों/तख्‍तों के साथ फोटो में देखा जा सकता है, इन बोर्ड का इस्‍तेमाल मलबे और कीचड़ में फंसे लोगों को बचाने और रास्‍ता बनाने के लिए प्‍लेटफॉर्म बनाने के लिए किया जा रहा है.

टीमें अपने साथ ऑक्‍सीजन सिलेंडर और स्‍ट्रेजर्स भी लिए हैं ताकि बचाए गए लोगों को तुरंत सहायता उपलब्‍ध कराई जा सके.हादसे के दिन रविवार को ही इसी क्षेत्र में एक छोटी सुरंग से करीब 12 श्रमिकों को बचाया गया था. आईटीबीपी के 300 से अधिक और सेना और डिजास्‍टर टीमों के करीब 200 लोग बचाव अभियान में जुड़े हैं.गौरतलब है कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के कारण आए एवेलांच से अलनकनंदा और धौलीगंगा नदियों में भयंकर बाढ़ आ गई थी. बाढ़ यहां के कई पुलों को बहा ले गई और रास्ते में आने वाले घरों, पास के NTPC पावर प्लांट और एक छोटे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ऋषिगंगा को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था.

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