1. प्राण ने 350 से अधिक फ़िल्मों में काम किया, उन्होंने खानदान, पिलपिली साहेब और हलाकू (1956) जैसी फिल्मों में मुख्य अभिनेता की भूमिका निभायी. उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय मधुमती, जिस देश में गंगा बहती है, उपकार, शहीद, आंसू बन गये फूल, जॉनी मेरा नाम, विक्टोरिया नम्बर 203, बे-ईमान, जंजीर, डॉन और दुनिया फिल्मों में माना जाता है.
2. प्राण को ‘जिद्दी’ से लोकप्रियता मिली और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर देखने की कभी जरूरत नहीं पड़ी. प्राण साहब अपनी अदाकारी के लिए मशहूर हुए. खासकर उनके बरखुरदार कहने के तरीके को खासा पसंद किया गया.
3. प्राण से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया यह है कि वे अक्सर शिमला जाते थे और वह भी रामलीला के दिनों में. प्राण वहां की एक रामलीला में सीता का रोल निभाते थे और दिलचस्प यह कि इस रामलीला में मदन पुरी राम का रोल निभाते थे.
4. पेशे से फोटोग्राफर प्राण की मुलाकात एक दिन एक फिल्म प्रोड्यूसर से हुई. बस इस तरह उन्हें अपनी पहली फिल्म ‘यमला जट (1940)’ मिली. ये पंजाबी फिल्म थी.
5. प्राण अविभाजित भारत में लाहौर में एक्टिंग करते थे और फिर मुंबई आ गए. उर्दू के जाने-माने लेखक सआदत हसन मंटो और एक्टर श्याम की मदद से उन्हें बॉम्बे टाकीज की फिल्म ‘जिद्दी’ में काम मिला, जिसमें देव आनंद हीरो थे.
6. प्राण ने अपने कैरियर के दौरान विभिन्न पुरस्कार और सम्मान अपने नाम किये. उन्होंने 1967, 1969 और 1972 में फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार और 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम एचीवमेंट अवॉर्ड जीता.
7. प्राण को साल 2000 में स्टारडस्ट द्वारा ‘मिलेनियम के खलनायक’ द्वारा पुरस्कृत किया गया. 2001 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया और भारतीय सिनेमा में योगदान के लिये 2013 में दादा साहब फाल्के सम्मान से नवाजा गया.
8. साल 2010 में प्राण को सीएनएन की सर्वश्रेष्ठ 25 सर्वकालिक एशियाई अभिनेताओं में चुना गया था.
9. प्राण को उनके नाम ‘राम और श्याम’ के खलनायक की ऐसी तस्वीर रही है, जिससे लोगों ने परदे के बाहर भी घृणा शुरु कर दी थी, वहीं उनके नाम ‘उपकार’ के मंगल चाचा की भूमिका भी है, जिसे दर्शकों का बेइन्तहा प्यार और सम्मान मिला.
10. महान कलाकार प्राण ने 12 जुलाई 2013 को मुम्बई के लीलावती अस्पताल में अन्तिम सांस ली. गौर करने वाली बात यह रही कि उनके जन्म और निधन की तारीख सेम रही.