उपायुक्त राघव शर्मा ने वीरवार को संजीवनी पायलट परियोजना के संबंध में डीआरडीए सभागार में समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि जिले के प्रत्येक उपमंडल में औषधीय पौधों की खेती के लिए स्वयं सहायता समूहों की मदद से किसानों के कलस्टर चिन्हित किए जाएंगे। इन क्लस्टर को जिला प्रशासन की ओर से पूरी मदद प्रदान की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक किसान औषधीय पौधे उगाने के लिए प्रोत्साहित हो सकें।
उपायुक्त ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक औषधीयों की मांग बढ़ी है। ऊना में भी कुछ औधषीय पौधों की खेती के लिए उपयुक्त वातावरण है। जिले में सर्पगंधा, अश्वगंधा, खसखस व काली गेंहू आदि की खेती की जा सकती है जिससे किसान लाभान्वित हो सकते हैं। किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण तथा तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। अगर किसान औषधीय पौधों की खेती रसायन मुक्त तथा प्राकृतिक खेती के रूप में करते है, तो इससे उन्हें काफी लाभ मिल सकता है। औषधीय पौधों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए कई संस्थान तैयार हैं। उन्हें मार्केटिग के लिए किसी प्रकार की परेशानी नहीं आएगी। औषधीय पौधों की नर्सरी मनरेगा के माध्यम से तैयार की जा सकती है। साथ ही पौधारोपण के लिए भी मनरेगा से मदद की जा सकती है।
वित्तीय सहायता के लिए बनेंगे समूह
उपायुक्त ने कहा कि राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत किसानों को वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए समूह बनाने होंगे। एक किसान समूह के पास कम से कम 20 कनाल भूमि होनी चाहिए। एक समूह में किसान 15 किलोमीटर के दायरे में तीन गांव भी शामिल हो सकेंगे। गिरवी रखी गई भूमि पर भी औषधीय पौधों की खेती करने के लिए आवेदन किया जा सकता है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए किसान जिला आयुष अधिकारी के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।