कोलार में 24 साल की निक्की (परिवर्तित नाम) के साथ हुई वारदात के 34 दिन बाद प्रशासन जागा है। शुक्रवार को कलेक्टर अविनाश लवानिया और डीआईजी इरशाद वली ने निक्की से घर जाकर मुलाकात की। और मामले की जांच के लिए एसआईटी बना दी। डीआईजी ने मामले में कोलार थाना टीआई सुधीर अरजरिया की लापरवाही मानी। पहले टीआई का सस्पेंशन ऑर्ड टाइप हुआ, लेकिन दोपहर बाद सिर्फ नोटिस देकर जवाब मांगा गया।
शुक्रवार को फिर पुलिस ने एफआईआर में रेप की कोशिश और जानलेवा हमले की धारा भी जोड़ दी। हालांकि इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर कई सवाल उठ रहे हैं। लेकिन दो अहम हैं। पहला ये कि धाराएं उस वक्त ही क्यों नहीं बढ़ाई गईं? जबकि निक्की का कहना है कि घटना के अगले दिन ही उसने पुलिस को दिए बयान में इसका जिक्र किया था। जांच अधिकारी श्वेता शर्मा का तर्क है कि पहले दिन निक्की ने वो सब नहीं बताया था।
गुरुवार को पूरक बयान लिए हैं, हफ्तेभर पहले ही मेडिकल रिपोर्ट आई है और इसी आधार पर धाराएं बढ़ाईं हैं। दूसरा सवाल ये कि पुलिस ने थाने में पीड़िता की मां के सामने से आरोपी अनिल बोरकर को क्यों गुजारा, जबकि उसकी शिनाख्त सिर्फ पीड़िता ही कर सकती है। फिलहाल कलेक्टर ने पीड़िता के इलाज का पूरा खर्च उठाने की बात कही है।
5 सवाल
- पुलिस ने छात्रा के बयान के आधार पर एफआईआर पहले क्यों नहीं लिखी?
- वारदात के 34 दिन बाद धाराओं में इजाफा हुआ, पहले क्यों नहीं?
- एसआईटी के इंचार्ज वही क्यों, जो पहले से ही क्षेत्र के सीएसपी हैं?
- निक्की ने जिस जांच अधिकारी पर सवाल उठाएं, उन्हीं श्वेता शर्मा को मुख्य जांच अधिकारी क्यों बनाया?
- पुलिस ने थाने में पीड़िता की मां के सामने से आरोपी अनिल बोरकर को क्यों गुजारा, जबकि उसकी शिनाख्त सिर्फ पीड़िता ही कर सकती है।
पीड़िता बोली – रेप की कोशिश हुई थी पर पुलिस ने छेड़छाड़ की धारा लगाई
16 जनवरी की घटना के अगले दिन पुलिस ने छेड़छाड़ और मारपीट की धाराओं में एफआईआर दर्ज की। जबकि मैंने बयान में बताया था कि रेप की कोशिश हुई है। मैंने कहा था कि जिस जगह घटना हुई थी, आप वहां पर जाकर देखिए मेरा जैकेट और ब्लूटूथ पड़ा होगा। पुलिस को वहां दोनों चीजें मिलीं। जूस की दुकान से सीसीटीवी फुटेज निकाले गए, जिसमें 14 मिनट का वीडियो रिकॉर्ड है। वो दरिंदा उसमें दिख रहा है। ये सब होने के बाद भी केस को गंभीरता से नहीं लिया। मुझे पुलिस की जांच पर शुरू से शक है। मेरा इलाज करा दीजिए, ये आग्रह है।
एसआईटी इन बिंदुओं पर करेगी जांच
- फरियादी पक्ष के बयान फिर दर्ज होंगे। केस डायरी का रिव्यू होगा। अब तक की जांच के तथ्य खंगाले जाएंगे। आरोपी की गिरफ्तारी का क्या आधार रहा, यह भी जांचेंगे।
- एसआईटी की कमान हबीबगंज सीएसपी भूपेंद्र सिंह के हाथ रहेगी। टीम में महिला सब इंस्पेक्टर श्वेता शर्मा मुख्य जांच अधिकारी होंगी। एक अन्य सब इंस्पेक्टर और एएसआई भी शामिल रहेंगे।
मां का आरोप- आरोपी और वीडियो वाला शख्स अलग
मां का आरोप है कि पुलिस ने जिस आरोपी को गिरफ्तार किया है, वो घटना के सीसीटीवी फुटेज में दिख रहे शख्स से अलग है। लेकिन पुलिस का कहना है कि निक्की ने आरोपी का जो हुलिया, उम्र बताई, वो अनिल से मिलती है। आरोपी ने वारदात के समय नीले रंग की हूडी पहनी थी, ये उससे जब्त भी की गई है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने भी उसकी पहचान की है।
राहुल गांधी- ये है बेटी बचाओ अभियान का सच
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ट्वीट – पीड़िता एक महीने बाद भी न्याय से कोसों दूर है, क्योंकि भाजपा हमेशा ही पीड़िता को जिम्मेदार बताती है। कार्यवाही में ढील देती है। ये है सरकार के बेटी बचाओ का सच।
कब-क्या हुआ- एक संदिग्ध से हरियाणा जाकर पूछताछ की थी
- 16 जनवरी… शाम को वॉक के दौरान आरोपी ने पीड़िता के साथ वारदात की। उसी दिन एम्स ने बागसेवनिया थाने में सूचना दी।
- 17 जनवरी… एम्स और बागसेवनिया पुलिस दोनों ने कोलार पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।
- 18 जनवरी… पुलिस मौके पर गई। एक टीम जांच के लिए हरियाणा भेजी। वहां एक संदिग्ध युवक से पूछताछ की।
- 19-22 जनवरी… संदिग्ध युवक के परिजन पुलिस के बुलाने पर भोेपाल आए।
- 25 जनवरी… पीड़िता एम्स से डिस्चार्ज होकर घर पहुंची।
- 9 फरवरी… आरोपी अनिल को गिरफ्तार किया, कोर्ट में पेश किया, जेल भेजा।
- 19 फरवरी… कलेक्टर- डीआईजी पीड़िता से मिले। जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी। धाराएं जोड़ीं।