वैक्सीन की प्रमाणिकता पर सवाल उठाना ठीक नहीं है क्याेंकि शुरुआती जांच में महिला की माैत का कारण गुलैन बार सिंड्राेम बीमारी है। फिर भी प्रशासन काेई कमी नहीं छाेड़ना चाहता, लिहाजा अब महिला की पैथाेलाॅजिकल एटाेप्सी की जा रही है, जिससे माैत के असल कारण सामने आ जाएंगे। यह बात आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डाॅ. जनकराज ने साेमवार काे प्रेसवार्ता के दाैरान कही।
एमएस ने कहा कि महिला काे काेविड वैक्सीन का टीम 29 जनवरी काे लगाया गया था। उसके एक सप्ताह बाद उसकी तबीयत खराब हुई। उसके बाद उसे टांडा मेडिकल कालेज में भर्ती करवाया गया। धीरे-धीरे उनका पूरा शरीर गुलैन बार सिंड्राेम चपेट में आ गया। सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।
जब महिला की तबीयत ज्यादा खराब हुई ताे उसे आईजीएमसी रैफर किया गया, यहां पर पहुंचते ही महिला की माैत हाे गई। उन्हाेंने कहा कि गुलैन बार सिंड्राेम एक तरह का पैरालाइसिस है और इसमें मरीज के हाथ और पांच की नसें सिकुड़ जाती है। बाद में यह गले काे पकड़ती है।
कोविड वैक्सीन से तीन तरह के प्रभाव देखे जाते हैं, इनमें वैरी कॉमन, कॉमन, लैस कॉमन है। दस लोगों को अगर वैक्सीन लगती है तो इनमें एक से अधिक लोगों को वैरी कॉमन जैसे इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, छूने से दर्द, थकान महसूस, इचिंग होना आम है।
कॉमन लक्षणों में गिडली होना, बुखार, उल्टी, जुकाम, गला खराब होना, नाक बहना आदी है। इसके अलावा लेस कॉमन में भूख न लगना, शरीर के कई जगहों पर गिल्टियां होना, पसीना ज्यादा होना, शरीर में रैशेस होना, बुखार होना है।