बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की अगुवाई में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पिछले साल 2020 में अक्टूबर-नवंबर में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में भले ही NDA से हार गई हो लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झटका देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. वैसी ही सियासी लड़ाई लड़ने के लिए तेजस्वी यादव ने अब असम का रुख किया है. पूर्वोत्तर के इस राज्य में मार्च-अप्रैल में मतदान होने हैं लेकिन वोटिंग की तारीखों के ऐलान होने के वक्त यानी शुक्रवार (26 फरवरी) की शाम से ही तेजस्वी ने गुवाहाटी में डेरा डाल दिया है.
राजद सूत्रों का कहना है कि पार्टी के असम विधान सभा चुनाव लड़ने की संभावना है और तेजस्वी यादव फिलहाल इस राज्य में सहयोगियों की तलाश कर रहे हैं. बिहार की तरह, इस राज्य में भी कांग्रेस के नेतृत्व में छह-दलों का महागठबंधन है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि राजद इसमें शामिल हो सकता है, जबकि असम में इसका कोई आधार नहीं है.
कांग्रेस और राजद चुनावी तालमेल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गठजोड़ में रही है. राजद के संस्थापक लालू प्रसाद यादव ने पार्टी स्थापना के दिनों से ही कांग्रेस के साथ बेहतर रिश्ता बना रखा है. इसी बावत तेजस्वी यादव ने कल शाम कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की थी. उनकी आज फिर मुलाकात हो सकती है. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो असम के कुछ इलाकों में बड़ा भोजपुरी वोट बैंक है, जहां यादव को स्टार प्रचारक के रूप में कांग्रेस इस्तेमाल कर सकती है. परंपरागत रूप से, इन मतदाताओं का रुख बीजेपी की ओर रहा है लेकिन तेजस्वी के मैदान में उतरने से उनके बीच बीजेपी का आकर्षण कम हो सकता है.
तेजस्वी ने बीजेपी के पूर्व साथी हगराम मोहिलरी के नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (BPF) के साथ भी संबंध बना रखा है. 2020 के अंत में हुए आखिरी बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) चुनावों में बीजेपी ने BPF को धूल चटा दी थी और हगराम को सत्ता से बाहर कर यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के साथ चुनाव बाद गठबंधन कर लिया था.
पिछले दिनों, 10 फरवरी को तेजस्वी हगराम के निमंत्रण पर बोडोलैंड समझौते दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे.
राजद प्रमुख की भी आज ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के बदरुद्दीन अजमल से मुलाकात होनी है. सूत्रों ने कहा कि आज कांग्रेस के साथ उनकी बैठक में अजमल के शामिल होने की संभावना है. सूत्रों ने कहा कि CAA का विरोध करने वाले सभी दलों से बातचीत का प्रस्ताव है. केंद्र के नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) ने राज्य के उन वर्गों में रोष पैदा कर दिया है जो दशकों से असम में रह रहे हैं और नए कानून की वजह से उनका आव्रजन अवैध हो रहा है.