हमीदिया अस्पताल के दो हजार बिस्तर वाले नए भवन के खण्ड-2 का का काम पूरा होने में अब एक और अड़ंगा आ गया है। अस्पताल के सभी विभागाध्यक्षों ने चिकित्सालय की भीतरी संरचना में कई बदलाव सुझाए हैं। इस वजह से काम में देरी होगी। ऐसे में अप्रैल में इस खण्ड में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग और शिशु रोग विभाग को शिफ्ट करने में देर होगी। माना जा रहा है कि नए अस्पताल भवन का शुभारंभ दो महीने तक टल सकता है।
बता दें कि चार दिन पहले चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मो. सुलेमान ने गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. अरुणा कुमार और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। बैठक के बाद एसीएस ने कहा था कि सभी विभागाध्यक्ष अस्पताल का मुआयना करके देखें कि चिकित्सकों के कक्ष व अन्य निर्माण उनकी जरूरतों के अनुरूप हैं या नहीं। इसके बाद सभी विभागाध्यक्षों ने निर्माण एजेंसी पीआइयू के अधिकारियों और ठेका कंपनी के साथ अस्पताल भवन को देखा था। सभी ने मिलकर 22 ऐसे निर्माण बिंदु बताए हैं, जहां कोई न कोई बदलाव की जरूरत है। इसमें तोड़-फोड़ भी होगी। टाइल्स व फाल्स सीलिंग भी टूटेगी। तोड़ने और फिर से इसे दुरुस्त करने में करीब दो महीने लग जाएंगे। उधर, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने 31 मार्च तक काम पूरा करने को कहा था, ताकि अप्रैल तक यहां पर शिशु रोग विभाग और स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग शिफ्ट किया जा सके। बता दें कि स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग अभी सुल्तानिया अस्पताल में चल रहा है। इस वजह से मरीजों को परेशानी हो रही है।
– नए अस्पताल भवन के ब्लॉक-1 के सामने एक पुराना भवन है। इसे कुछ लोगों ने धार्मिक स्थल बता दिया था। बाद में पुरातत्व विभाग ने साफ कर दिया था कि यह धार्मिक भवन नहीं है। इस भवन के चलते अस्पताल 64 बिस्तर नहीं बन पा रहे हैं। दूसरी बात यह कि आपातकालीन सीढ़ियों में भी यह भवन अड़ंगा है। जब तक सीढ़ियां नहीं बनेंगी, फायर एनओसी नहीं मिलेगी।
– अस्पताल के चारों तरफ सड़क बननी है, ताकि मरीजों के वाहन, एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड आने-जाने में कोई दिक्कत न हो। इस सड़क को बनाने के लिए पानी की पाइप लाइन व बिजली के पोल की शिफ्टिंग नही हो पा रही है।
विभागाध्यक्षों ने कुछ बदलाव सुझाए हैं। इसमें करीब दो महीने लग जाएंगे। कोशिश की जा रही है कि यह काम और जल्दी हो सके। बाकी कोई बड़ी अड़चन नहीं है।