इस महीने गुरुवार, 11 मार्च को महाशिवरात्रि है। इस दिन हरिद्वार कुंभ में पहला शाही स्नान होगा। मार्च में कुंभ का ये एक ही शाही स्नान है। इसके बाद अप्रैल में तीन शाही स्नान होंगे। 11 अप्रैल (सोमवती अमावस्या), 14 अप्रैल (वैशाखी) और 27 अप्रैल (चैत्र पूर्णिमा) को शाही स्नान होंगे। इस बार कोरोना महामारी को देखते हुए यहां आने वाले श्रद्धालुओं को शासन द्वारा तय किए गए सभी नियमों का पालन करना होगा।
इस बार 11वें साल में लगा है हरिद्वार कुंभ
वैसे तो हर 12 साल में हरिद्वार में कुंभ मेला लगता है, लेकिन इस बार 11वें साल में ही ये मेला आयोजित हुआ है। इसके अलावा प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में भी 11वें साल में कुंभ लग चुके हैं। ऐसा 83 साल बाद हुआ है। 1938 में भी 11वें साल कुंभ मेला लगा था।
ग्रहों की विशेष स्थिति में आयोजित होते हैं कुंभ
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जब वैशाख मास में सूर्य का राशि परिवर्तन होता है, सूर्य, चंद्र मेष राशि में होते हैं और गुरु ग्रह कुंभ राशि में होता है, तब कुंभ महापर्व आयोजित होता है। इस बार ग्रहों का ये योग 2021 में ही बन गया है। 2021 के बाद 2033 में हरिद्वार में कुंभ महापर्व होगा।
समुद्र मंथन से जुड़ी है कुंभ महापर्व की कथा
प्राचीन समय में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। उस मंथन से अमृत कलश निकला था। देवता और दानव दोनों ही अमृत पान करना चाहते थे। अमृत पीने के लिए देवता और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। इस युद्ध में अमृत कलश से कुछ बूंदें हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। उस समय जैसी ग्रह स्थिति थी, ठीक वैसी ही ग्रह स्थिति जब भी बनती है, तब कुंभ मेला आयोजित होता है।