भारतीय अर्थव्यवस्था की निगरानी करने वाली संस्था सीएमआइई (सेंटर फार मानीटरिग इंडियन इकानमी) ने बीते अगस्त में बेरोजगारी दर 8.32 प्रतिशत तक बढ़ने के आंकड़े पेश किए हैं। बेशक कोरोना काल में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर छिनते जा रहे हैं लेकिन इसी बीच राहत की बात यह भी है कि कुछ व्यवसायिक संस्थानों ने इस विपदा काल में रोजगार सृजन को लेकर शानदार प्रदर्शन किया है। प्रदेश की पहली शिपिग कंपनी वीआर मेरीटाइम सर्विसेस प्रा. लिमिटेड ने जसवां-परागपुर और चितपूर्णी के अपने तीन कार्यालयों में 52 युवाओं को रोजगार प्रदान किया है। इस कंपनी के जहाजों पर इस समय आन बोर्ड 100 से ज्यादा हिमाचली कार्यरत हैं। कंपनी पिछले 14 महीने में प्रदेश के 294 युवाओं को रोजगार प्रदान कर चुकी है। यह सब संभव हुआ है कंपनी के प्रबंध निदेशक कैप्टन संजय पराशर के विजन के कारण।
संजय पराशर ने युवाओं की प्रतिभा को तराशने और प्रशिक्षित करने के लिए निरंतर देशभर से विशेषज्ञों की टीम के साथ वेबिनार का आयोजन किया। अब ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क कंप्यूटर और इंग्लिश लर्निग सेंटर भी खोले जा रहे हैं। पराशर शिक्षण संस्थानों में करियर काउंसलिग का भी आयोजन करते रहे हैं। देश की अन्य नामी मेरीटाइम कंपनियों के लिए भी पराशर ट्रेंड सेटर बन चुके हैं। कंपनियां संजय से संपर्क कर जसवां-परागपुर क्षेत्र में अपने कार्यालय खोलने के लिए योजना तैयार कर रही हैं। अगर ऐसा होता है तो निस्संदेह इस क्षेत्र में समुद्र के रास्ते रोजगार की अपार संभावनाएं होंगी और इसका सीधा लाभ क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को मिलेगा।
सामाजिक सरोकारों को लेकर 132 प्रोजेक्ट पर काम कर रहे कैप्टन संजय पराशर की प्राथमिकता शिक्षा व रोजगार है। पराशर का मानना है कि अगर रोजगार के साधन मिल जाएं तो व्यक्ति परिवार व समाज के लिए काफी कुछ कर सकता है। विडंबना है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को कंप्यूटर व अंग्रेजी विषय में वैसी महारत हासिल नहीं है जिसकी प्रोफेशनल कंपनियों में जरूरत होती है। इसमें विद्यार्थियों व युवाओं को निपुण बनाने के लिए सुदूर गांवों में भी प्रशिक्षण केंद्र खोले जा रहे हैं। मेहड़ा के बाद संसारपुर टैरेस के नजदीक ऐसे केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं। अगले तीन महीनों में चार कंप्यूटर व इंग्लिश लर्निग सेंटर जसवां-परागपुर क्षेत्र के दूरदराज के गांवों में खोलने पर विचार हो रहा है। कैप्टन संजय इसी क्षेत्र के पढ़ाई में अव्वल लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर 125 विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी प्रदान कर रहे हैं। संजय पराशर का कहना है कि रोजगार के लिए उनका क्षेत्र कैसे औद्योगिक हब बने, काम मुश्किल नहीं लेकिन मेहनत की जरूरत है। उम्मीद है कि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ किए जा रहे ऐसे कार्यों के परिणाम भी सकारात्मक रहेंगे।