Home आर्टिकल संकल्पसिद्ध और कर्मसिद्ध शिवराज सिंह चौहान….

संकल्पसिद्ध और कर्मसिद्ध शिवराज सिंह चौहान….

399
0
SHARE

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के राजनैतिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने में कामयाब हुए हैं। यह नया अध्याय है मुख्यमंत्री के रूप में रिकार्ड 15 साल की कालावधि पूरा करना। यही नहीं श्री शिवराज सिंह चौहान अपने दल में भी यह गौरव हासिल करने वाले प्रदेश और देश के पहले व्यक्ति हैं।

श्री शिवराज सिंह चौहान का विकास के लिये संकल्प और लगन आम लोगों को विश्वास दिलाता है कि वे ऐसे विकास के साथ लोगों की तरक्की और खुशहाली के कामों को कर सकते हैं। उनकी मंजिल है आत्म-निर्भर ‘मध्यप्रदेश’। ऐसा प्रदेश जो देश का अग्रणी प्रदेश हो जहाँ हर परिवार के पास रोटी, कपड़ा, मकान, दवाई और रोजगार हो।

श्री शिवराज सिंह चौहान के संबंध में अब यह बिल्कुल स्पष्ट है कि वे दिन गिनने वाले लोगों में से नहीं, काम करने वालों में है। उन्होंने हमेशा काम को प्रधानता दी है और ऐसा वही कर पाता है जो पद के आने-जाने की चिन्ता से मुक्त हो। जिसका लक्ष्य पद के अनुरूप दायित्वों के निर्वहन में प्रयत्नों की पराकाष्ठा करना हो। श्री शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में ऐसा कर पाये हैं और कर रहे हैं और सिर्फ मुख्यमंत्री के रूप में ही नहीं उनका अब तक का जीवन-क्रम बताता है कि आपातकाल के दौर में अपनी कच्ची उम्र में ही वे लोकतंत्र की रक्षा के उद्देश्य से कारावास जा चुके हैं। गृह ग्राम जैत में मजदूरों को पूरी मजदूरी दिलाने के लिये जुलूस निकाल चुके हैं। इसके बाद अपने मातृ संगठन में विभिन्न अनुषांगिक संगठनों में विभिन्न पदों के दायित्व निर्वहन ने उन्हें अपरिमित राजनैतिक अनुभव से समृद्ध किया है। सन् 1990 में थोड़े समय के लिये विधायक और फिर विदिशा से लगातार पाँच बार लोकसभा चुनाव जीतकर 14 वर्ष तक की संसद सदस्यता से वे न केवल राजनैतिक रूप से परिपक्व हुए बल्कि कर्मठ जननेता और जनसेवी बन गये।

यह सब कहने का आशय यह है कि वे हर रूप में, हर समय में जनसेवा और अपने दायित्वों के निर्वहन के लिये समर्पित रहे हैं। विकास और जनसेवा के साथ जनपीड़ा को हरने की उनकी प्रतिबद्वता के चलते उन्हें लगातार महत्वपूर्ण दायित्व मिलते रहे। यह अलग बात है कि शिवराज सिंह चौहान को मिले पद या दायित्व का निर्वहन इतनी सक्षमता से किया कि हर कसौटी उन्हें खरा उतारती रही।

चाहे संगठन का काम हो या मुख्यमंत्री के रूप में प्रशासन का, कोई काम उनके लिये कठिन नहीं रहा। स्वामी विवेकानंद के विचारों और कर्म से अनुप्राणित श्री शिवराज सिंह चौहान स्वयंसिद्ध प्रमाणित होते रहे हैं। उनकी अपरिमित ऊर्जा और कुछ करने की तड़प, धारा को विपरीत दिशा में मोड़ने का माद्दा और असंभव को संभव बनाने वाली जिद का उदाहरण है उनका पन्द्रह साल का मुख्यमंत्री कार्यकाल। पाँव-पाँव वाले भैया, जैसा उन्हें कहा जाता है, लोकसेवा और राष्ट्र के पुनर्निर्माण का अविराम पथिक है। उन्हीं के शब्दों में वे जनता के पाँवों में काँटे नहीं आने देंगे। खुद तो उन्हें चुनेंगे ही, लोगों को भी प्रेरित करेंगे, प्रदेश के विकास की बाधाओं रूपी काँटों को हटाने के लिये।

पन्द्रह साल के मुख्यमंत्री के रूप में एक ऐसे देश और प्रदेश में जहाँ एक बार पद पर पहुँचने को ही जीवन भर की उपलब्धि मानकर जश्न मनाये जाते हो, वहाँ श्री चौहान की यह उपलब्धि अप्रतिम, ऐतिहासिक और उल्लेखनीय है और रहेंगी। यह उपलब्धि तब और विशिष्ट हो जाती है जब इस अरसे में उन्होंने प्रदेश के पुनर्निर्माण के कामों को उपलब्धिपरक और भूतो न भविष्यति निरंतरता और सफलता दी हो।

कुल मिलाकर श्री शिवराज सिंह चौहान के बारे में कहा जा सकता है कि सत्ता उनका कभी लक्ष्य रहा ही नहीं है। सत्ता उनके लिये अपने प्रेरणा-स्त्रोत पं. दीनदयाल उपाध्याय के आदर्शों के अनुरूप अंतिम पंक्ति के अंतिम आदमी के दुख-दर्द दूर करने का एक साधन भर है। उनका लक्ष्य आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण के साथ राष्ट्र के पुनर्निर्माण का है, राजनीति को छल, फरेब, दुरभि-संधियों और जाति और धर्म की संकीर्णताओं से ऊपर उठाकर विकासपरक बनाने का है और इसमें वे अब तक अकल्पनीय रूप से सफल रहे हैं। ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की भावना के अनुरूप वे राजनैतिक दल बन्दी, मत-मतान्तर, धर्म-जाति, वर्ग और समुदाय से परे सबके मंगल, सबके कल्याण, सबके निरोगी होने के कार्य के कठिन व्रत को पूरा करने में जुटे हैं। उन्होंने प्रदेश में राजनीति की धारा पिछले डेढ़ दशक के अरसे में बदल दी है। अब प्रदेश में राजनीति तुष्टीकरण की नहीं विकास की ही हो सकेगी, ऐसा उन्होंने स्थापित कर दिया है।

सरकार में जनता के विश्वास को और अधिक मजबूती देने के उनके प्रयास आज भी लगातार जारी हैं। वंचितों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिये समर्पित शिवराजसिंह जी के लिये कोई भी वर्ग भूला-बिसरा नहीं रहा। किसानों, गरीब, महिला, युवा, जनजातीय, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, सामान्य और श्रमिक वर्ग के दुख-दर्द को दूर करने के लिये हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, सरकार और समाज को विकास के कामों में साथ ला रहे हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश में शासकीय कार्यों और योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकार के साथ जन-भागीदारी का अनूठा उदाहरण देश में प्रस्तुत किया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह प्रक्रिया भविष्य में समृद्ध प्रशासनिक परम्परा बनेगी। एकात्म मानववाद की अवधारणा से दीक्षित-संस्कारित श्री शिवराज सिंह चौहान अपनी कथनी-करनी को एकात्म कर आज प्रदेशवासियों की आशा और विश्वास के ऐसे सफल प्रतीक है, जो संकल्पसिद्ध और कर्मसिद्ध है। सच्चे अर्थों में प्रदेशवासियों के दिल और इतिहास दोनों में उन्होंने अपना अमिट स्थान बना लिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here