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नौतम भट्ट

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डॉ. नौतम भट्ट भारत के रक्षा वैज्ञानिक थे, जिन्होंने भारत को रक्षा-सामग्री के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। अग्‍नि, पृथ्वी, त्रिशूल, नाग, ब्रह्मोस, धनुष, तेजस, ध्रुव, पिनाका, अर्जुन, लक्ष्य, निशान्त, इन्द्र, अभय, राजेन्द्र, भीम, मैसूर, विभुति, कोरा, सूर्य आदि भारतीय शस्त्रों के विकास में उनका अद्वितीय योगदान रहा। डॉ॰ नौतम भट्ट को “विज्ञान और इंजीनियरिंग” में योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार 1969 में मिला था।

परिचय
डॉ नौतम भट्ट का जन्म गुजरात के जामनगर में सन 1909 में हुआ था। उन्होंने भावनगर में अपनी स्कूली शिक्षा के पूरी की। उसके बाद उन्होंने गुजरात कॉलेज, अहमदाबाद से बी. ए की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (आई.आई.एस.सी), बैंगलोर में नोबेल पुरस्कार विजेता सी. वी. रमन के तहत भौतिकी में अपनी एम.एस.सी की डिग्री प्राप्त की। नौतम भट्ट ने 1939 में अमेरिका की मेसेचुएट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोजी भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। उन्होंने भौतिक विज्ञान के विद्वान के रूप में भारतीय विज्ञान संस्थान में डॉ. सी. वी. रमन के तहत अपना कॅरियर शुरू किया है। भारतीय स्वतंत्रता के बाद उन्होंने देश के लिए काम करना शुरू किया और “रक्षा विज्ञान प्रयोगशाला” की स्थापना की तथा रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए काम किया।

योगदान
उन्हें भारत के रक्षा अनुसंधान की नीव रखने वाला वैज्ञानिक कहा जाता है।
नौतम भट्ट ने 1960 के दशक के मध्य में रक्षा विभाग के लिए वीटी फ्यूज का विकास किया।
दिल्ली में उन्होंने ठोस राज्य भौतिकी प्रयोगशाला की स्थापना की और इसके संस्थापक निदेशक बने।
उन्होंने सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सी.ई.ई.आर.आई), पिलानी की स्थापना की।
नौतम भट्ट ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बैंगलोर में इलेक्ट्रिकल संचार इंजीनियरिंग विभाग की स्थापना की।
इंस्टीट्यूशन ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार इंजीनियर्स (आई.ई.टी.ई) के नौतम भट्ट संस्थापक सदस्य थे।
सरंक्षण के क्षेत्र में डॉ नौतम भट्ट ने संशोधकों-वैज्ञानिकों की एक फौज ही खड़ी कर दी थी, जो भविष्य में अग्नि, पृथ्वी एवं नाग जैसी मिसाइल्स और राजेन्द्र तथा इन्द्र जैसे रडार, वायर गाईडेड टोरपीडो तथा एन्टी सबमरीन सोनार का निर्माण करने वाली थी।
मुंबई के बिरला मातुश्री सभागृह की 2000 वॉट के स्पीकर्स वाली साउंड सिस्टम भी डॉ भट्ट ने ही बनाई थी।

पुरस्कार
1969 में नौतम भट्ट को “विज्ञान और इंजीनियरिंग” के क्षेत्र में अपने महान् काम के लिए भारतीय राष्ट्रपति जाकिर हुसैन द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

निधन
नौतम भट्ट का निधन 6 जुलाई, 2005 को हुआ था।

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