विष्णुकांत शास्त्री भारतीय राजनीतिज्ञ एवं साहित्यकार थे। ये उत्तर प्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। [1] इन्होंने देश भर के विश्वविद्यालयों एवं साहित्यिक संस्थानों की व्याख्यान मालाओं में भागीदारी ली। ये भक्ति साहित्य के अधिकारी विद्वान थे। काव्य पाठन, भ्रमण, शिक्षा साहित्य तथा दर्शन आदि के क्षेत्रों में भी उनकी विशेष रूची थी।
परिचय एवं शिक्षा
विष्णुकांत शास्त्री का जन्म 2 मई 1929 को कोलकाता में हुआ। इनका विवाह 26 जनवरी, 1953 को श्रीमती इन्दिरा देवी से हुआ, जिनसे इनकी एक पुत्री भारती शर्मा हुई। इन्होंने बी. ए., एम.ए., तथा एल.एल.बी. कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इन्होंने 1952 में एम.ए. हिन्दी में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
24 नवम्बर 2000 से 2 जुलाई 2004 छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा मानद उपाधि, डी.लिट. तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा डी. लिट्. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
कॅरियर
1953 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हुए। क्रमश उन्नति करते हुए आचार्य एवं विभागाध्यक्ष बने। आचार्य के पद से कलकत्ता विश्वविद्यालय से 31 मई, 1994 को अवकाश ग्रहण किया। ये 1944 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बद्ध हुये। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (कलकत्ता शाखा), श्री बड़ा बाज़ार कुमार सभा, पुस्तकालय, अनामिका[2] और भारतीय जनता पार्टी (पश्चिमी बंगाल) के अध्यक्ष रहे।
विष्णुकांत शास्त्री बंगीय हिन्दी परिषद के उपाध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मारक समिति के महामंत्री, भारतीय भाषा परिषद के मंत्री और भारत भवन भोपाल के ट्रस्टी भी रहे।
सीनेट, कलकत्ता विश्वविद्यालय, कार्यकारी समिति, भारतीय हिन्दी परिषद, हिन्दी अध्ययन बोर्ड इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कार्यकारी समिति, कलकत्ता विश्वविद्यालय, बांग्लादेश सहायक समिति, हिन्दी सलाहकार समिति गृह मंत्रालय एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय (1977-1979) के सदस्य रहे। भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की समिति तथा परामर्ष समिति (1992-1998), संसदीय राजभाषा समिति (1994-1998) के सदस्य रहे।[1]
साहित्यकार
इन्होंने देश भर के विश्वविद्यालयों एवं साहित्यिक संस्थानों की व्याख्यान मालाओं में भागीदारी ली। ये भक्ति साहित्य के अधिकारी विद्वान थे।
मौलिक कृतियां
‘कवि निराला की वेदना तथा निबन्ध’, ‘कुछ चंदन की कुछ कपूर की’, ‘चिन्तन मुद्रा’, ‘अनुचिंतन’ (साहित्य समीक्षा), ‘तुलसी के हियहेरि’ (तुलसी केन्द्रित निबंध), ‘‘बांग्लादेश के सन्दर्भ में,(रिपोताॅज), स्मरण को पाथेय बनने दो’, ‘सुधियां उस चंदन के वनकी’ (यात्रा वृतांत व संस्मरण), भक्ति और शरणागत’ (विवेचन), ‘ज्ञान और कर्म’ (चिन्तन-दर्शन), ‘अनंत पथ के यात्री’- धर्मवीर भारती (संस्मरण)।
अनूदित:- ‘उपकालिदासय’ (बांग्ला से हिन्दी), ‘संकल्प-संत्रास-संकल्प’ (बांग्लादेश की संग्रामी कविताओं का काव्यानुवाद), महात्मा गांधी का समाज दर्शन (अंग्रेजी से हिन्दी)।
सम्पादित:- ‘दर्शन और आज का हिन्दी रंगमंच’, ‘बालमुकंद गुप्त: एक मूल्यांकन’, बांग्लादेश: संस्कृति और साहित्य, ‘तुलसीदासः आज के संदर्भ में’, कलकत्ता 1993’, ‘अमर आग है’ (अटल बिहारी वाजपेयी की चुनी हुई कविताओं का संकलन)। ‘रस वृन्दावन’ धर्मिक मासिक पत्रिका के प्रधान सम्पादक (1979-1984)।
विदेश यात्रा
विष्णुकांत शास्त्री ने विभिन्न देशों में भ्रमण किया- सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, बांग्लादेश, कनाडा, रूस, सिंगापुर, मलेशिया व थाईलैंड।