मध्यप्रदेश में बीते 4 दिन में मौसम में जबरदस्त बदलाव देखने को मिला है। एक दिन की रात के बाद गुरुवार को फिर से पारा चढ़ गया। सोमवार को जहां जबरदस्त गर्मी रही, तो प्रदेश में बादल छाने और तेज हवाओं ने मंगलवार को पारा 2 डिग्री तक गिरा दिया। बुधवार को भी कुछ राहत रही, लेकिन गुरुवार को सूरज के तेवर तीखे हो गए और दिन का पारा चढ़ गया। अभी तीन दिन इंदौर से ज्यादा ग्वालियर, भोपाल और सागर में गर्मी रहेगी।
मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश ने बताया कि 13 मई से प्रदेश के कई इलाकों में एक बार फिर हीट वेव रहेगी। भोपाल के राजगढ, खंडवा, खरगोन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुरकलां, छतरपुर, दमोह और सागर डिवीजन में लू चल सकती है। बंगाल की खाड़ी में बना साइक्लोन उड़ीसा की तरफ बढ़कर कमजोर हो रहा है।
वर्तमान में असानी तूफान के दुर्बालांश सुस्पष्ट निम्न दाब क्षेत्र के रूप में तटीय आन्ध्र प्रदेश के ऊपर सक्रिय है। पूर्वी मध्य प्रदेश में चक्रवातीय गतिविधियां सक्रिय है। इससे होकर मध्यप्रदेश और बिहार तक पूर्व-पश्चिम ट्रफ लाइन गुजर रहा है। उत्तर-दक्षिण ट्रफ लाइन पूर्वी बिहार से उत्तरी ओडिशा तक फैली है। वहीं, एक दुर्बल पश्चिमी विक्षोभ ईरान-अफगानिस्तान क्षेत्र में है। साथ ही 15-16 मई से अगले पश्चिमी विक्षोभ के प्रभावी होने की संभावना बनी हुई है। इसके बाद मौसम में बदलाव होगा।
खरगोन में पारा 46 पार
गुरुवार को प्रदेश भर में दिन का पारा काफी चढ़ गया। कहीं-कहीं यह 3 डिग्री तक ज्यादा चला गया। सबसे ज्यादा पारा खरगोन में 46.4 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। भोपाल के राजगढ़ में भी यह 46 डिग्री पर पहुंच गया। भोपाल में करीब डेढ़ सेल्सियस तापमान चढ़कर 44 पर पहुंच गया, तो इंदौर में एक डिग्री चढ़कर 43.3 पर आ गया। ग्वालियर में पारा 44 के पार रहा। सिवनी और पचमढ़ी को छोड़ दिया जाए, तो प्रदेश में अधिकतम तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच गया है।
इसलिए तप रहे रतलाम, राजगढ़ और खरगोन
वैज्ञानिक सिंह ने बताया कि राजस्थान से सटे रतलाम, खरगोन और राजगढ़ सबसे गर्म रहते हैं। राजस्थान में तापमान बढ़ने के कारण यहां पर तापमान सबसे ज्यादा बढ़ता है। हवाओं के कारण किसी दिन राजगढ़ तो कभी रतलाम और कभी खरगोन में अधिकतम तापमान ज्यादा रहता है। प्रदेश में 33 जिलों में मौसम विभाग के सिस्टम लगे हैं। इससे यहां पर तापमान के अधिकारिक डाटा लिया जाता है। यही मान्य होते हैं। शेष जिलों में ऑटोमैटिक सिस्टम लगे हैं, लेकिन यह अधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं लिया जाता है। मौसम विभाग के अनुसार अगर-मालवा में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है, लेकिन वहां का रिकॉर्ड नहीं लिया जाता है।