राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज यहां जनरल जे.जे. सिंह (सेवानिवृत्त) द्वारा लिखित पुस्तक मैकमोहन लाईनः ए सेंचरी ऑफ डिस्कॉर्ड का विमोचन किया। जनरल जे.जे. सिंह अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और पूर्व चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ रहे हैं। यह पुस्तक सेना में कार्यकाल के दौरान भारत चीन सीमा विवाद पर उनके अनुभवों व शोध पर आधारित है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि इस किताब से हमें निश्चित रूप से नया ज्ञान व अनुभव प्राप्त होगा। सामरिक दृष्टि से हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए और इसके लिए हमें किस तरह की तैयारियां करनी चाहिए, जनरल जे.जे. सिंह ने अपने अनुभवों, शोध एवं व्यवहारिक ज्ञान के आधार पर यह जानकारी पुस्तक के माध्यम से दी है, जो कि बहुत लाभदायक सिद्ध होगी।
उन्होंने कहा कि हमारा देश हर तरह की समस्या के समाधान के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार है, परन्तु यह पुस्तक हमें अपने इतिहास को जानने और समझने का अवसर प्रदान करती है। इसके लिए जनरल जे.जे. सिंह की सराहना के पात्र हैं।राज्यपाल ने कहा कि लोग मैकमोहन रेखा के बारे में बहुत कम जानते हैं। जनरल जे.जे. सिंह ने इस विषय पर अपने ज्ञान को बखूबी प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच बातचीत के माध्यम से ही समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि बातचीत के माध्यम से समाधान ही भारत के इतिहास का अभिन्न अंग रहा है। शांति हमारे समृद्ध इतिहास का अभिन्न अंग है। हम इस तरह की समस्याओं का शांतिप्रिय समाधान चाहते हैं।
लेकिन अगर कोई हम पर आक्रमण करता है तो हम उसका जवाब देने में भी सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जनरल जे.जे. सिंह ने इस संवेदनशील विषय पर पुस्तक की रचना की है। इस पुस्तक में मैकमोहन रेखा क्षेत्र से सम्बन्धित राजनीति, इतिहास और भूगोल पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस पुस्तक में उन अनेक तथ्यों को उजागर किया है, जो कूटनीतिक आधार पर चल रही बातचीत के दृष्टिगत महत्वपूर्ण हैं।राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक पाठकों के लिए रूचिकर सिद्ध होगी और समस्या के समाधान का रास्ता दिखाएगी।
जनरल जे.जे. सिंह ने बताया कि यह पुस्तक भारत चीन विवाद पर उनके छह वर्षों के गहन अध्ययन और शोध पर आधारित है। उन्होंने इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी भी प्रदान की। यह उनके द्वारा लिखित द्वितीय पुस्तक है। इस अवसर पर मैकमोहन रेखा पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल प्रदीप बाली ने भी अपने विचार व्यक्त किए।