राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शिक्षकों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अध्ययन और सफलतापूर्वक इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। राज्यपाल आज यहां मान्यता प्राप्त उच्चतर शिक्षण संस्थानों की राज्य स्तरीय विश्लेषण की नैक रिपोर्ट जारी करने के बाद सम्बोधित कर रहे थे।राज्यपाल ने कहा कि उनके विचार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे शिक्षा क्षेत्र को उपनिवेशवाद के प्रभाव से मुक्त करने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि केवल घोषणा मात्र से इस नीति का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं होगा। इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने इस दिशा में प्रशासन के उच्चाधिकारियों को कार्य करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में साक्षरता दर लगभग 87 प्रतिशत है और प्रदेश सरकार शिक्षा के क्षेत्र सराहनीय प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षा समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप होनी चाहिए। उन्होंने विशेष बल देते हुए कहा कि विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से सम्बन्धित पुस्तकों के अलावा अन्य ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापकों की भावना की अहम भूमिका होती है।
इस अवसर पर प्रधान सचिव शिक्षा मनीष गर्ग ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए नैक रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल देश का पांचवां राज्य है, जहां राज्यवार नैक रिपोर्ट जारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में प्रदर्शन पर आधारित ग्रेडिंग का उल्लेख किया गया है, जो यह दर्शाता है कि प्रदर्शन के अनुसार हमारी स्थिति क्या है।
उन्होंने कहा कि सभी महाविद्यालयों की नैक की रैंकिंग में भाग लेना चाहिए ताकि भविष्य में समिति के मापदंडों के अनुरूप कार्य किया जा सके।नैक की सहायक निदेशक डॉ. विनीता साहू ने भी प्रदेश के व्यावसायिक महाविद्यालयों की रिपोर्ट प्रस्तुत की।आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. चन्द्र मोहन परशीरा ने भी अपनी प्रस्तुति दी।नैक के सहायक निदेशक श्याम सिंह इंदा ने कहा कि यह रिपोर्ट प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रदान की जा रही शिक्षा पर आधारित है और गुणवत्ता मानक का संकेतक है। निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमरजीत शर्मा ने इस अवसर पर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।