इंडीजीनियस ट्राइबल लीडर्स फ़ोरम ने ये दावा राज्य की गवर्नर अनुसूइया उइके को पेश किए गए एक मेमोरेंडम में किया है.गवर्नर ने राजधानी इंफाल से क़रीब 60 किलोमीटर दूर चूराचांदपुर कस्बे का दौरा किया.राचांदपुर मणिपुर में तीन मई को शुरू हुई हिंसा में सबसे प्रभावित इलाक़ों में से एक है.
मणिपुर में हिंदू मैतेई और ईसाई कुकी समुदायों के बीच हो रही झड़पों में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं और 53 हज़ार से अधिक को अपना घर छोड़ना पड़ा है.
आईटीएलएफ़ ने आरोप लगाए हैं कि आदिवासी इलाक़ों में अब भी हिंसा जारी है.आईटीएलएफ़ का आरोप है कि घाटी में मैतेई आबादी के क़रीब के इलाक़ों में ‘हिंसा जारी है.’आईटीएलएफ़ ने दावा किया है कि सोमवार को भी चूराचांदपुर गांव में हुए हमले में एक व्यक्ति की मौत हुई है.
वहीं मैतेई समूहों का कहना है कि कुकी विद्रोही हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं. इन समूहों का आरोप है कि ड्रग्स का धंधा करने वाले ‘आतंकवादी’ म्यांमार सीमा से मणिपुर में घुस रहे हैं और राज्य के मूलनिवासी लोगों को परेशान कर रहे हैं.
वहीं कूकी संगठनों का आरोप है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर दौरे के दौरान जो मांगे उनके सामने रखी गईं थीं, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है.
आईटीएलएफ़ ने कहा, “हमने अपने गांवों और अपनी जान की रक्षा के लिए बेहतर सुरक्षा की मांग की थी लेकिन इसके बाद भी हमारे 55 गाँवों को जला दिया गया और 11 लोग मार दिए गए.”
केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने केंद्र सरकार की सामाजिक-आर्थिक विकास योजना के तहत प्रस्तावित 58456 ‘यूनिट’ या छोटे ढांचागत प्रोजेक्ट रद्द कर दिए हैं.
सरकार को पता चला था कि साल 2008-9 में प्रस्तावित होने के बाद ये प्रोजेक्ट कभी शुरू ही नहीं हुए थे.
मंत्रालय के एक अधिकारी ने अख़बार से कहा है कि, “हमने राज्य सरकारों के साथ तालमेल करके ऐसा किया है. हमने ये पाया था कि ये पिछले एक दशक में प्रस्तावित होने के बाद इन यूनिटों में कुछ नहीं हुआ था. हमने राज्यों से कहा है कि क्या वो इन प्रोजेक्ट को पूरी तरह रद्द करना चाहते हैं. ” 2008-9 के बाद से केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रलाय ने प्रधानमंत्री जन-विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत 11 लाख प्रोजेक्टों का मूल्यांकन किया है. पीएमजीवीके कार्यक्रम के तहत सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ढांचागत विकास किया जाता है.मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि राज्यों के पास विभिन्न अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत जारी 4000 करोड़ से अधिक का फंड पड़ा है जिसे ख़र्च नहीं किया गया है.