मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार सायं वन विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ईको-टूरिज्म गतिविधियों को प्रोत्साहन प्रदान कर राज्य की आय बढ़ाने और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 72 वन विश्राम गृहों और 22 ईको पार्कों में ईको पर्यटन गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। उन्होंने 93 प्रस्तावित स्थलों पर इको-टूरिज्म गतिविधियों के संचालन के लिए वृहद योजना (मास्टर प्लान) में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया।मुख्यमंत्री ने कहा कि ईकोे-टूरिज्म सतत् पर्यटन का एक बेहतर उदाहरण है।
इसके माध्यम से आगंतुकों को अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करते हुए प्राकृतिक संसाधनों और स्थानीय संस्कृति के संरक्षण को भी बल मिलता है। उन्होंने कहा कि इको-टूरिज्म को बढ़ावा देकर, राज्य अपनी समृद्ध जैव विविधता, प्राकृतिक सुन्दरता और सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर पर्यटन की दृष्टि से इसका लाभ उठा सकते हैं। पर्यटन के नए अनुभव प्राप्त करने वाले पर्यटकों के लिए यह वरदान साबित हो सकता है इससे राजस्व में वृद्धि होने के साथ-साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में ईको-टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं और इससे राज्य को काफी फायदा हो सकता है। वन विभाग को इसका अधिक से अधिक लाभ उठाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि ईको-टूरिज्म की संभावनाओं के दृष्टिगत एक वृहद योजना तैयार की जा रही है।
इसका उद्देश्य प्रदेशभर में ईको-टूरिज्म गतिविधियों के लिए प्रस्तावित स्थलों को विस्तार प्रदान करना है। इस योजना में संभावित रूप से बुनियादी ढांचा विकसित करना, आगंतुकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, प्राकृतिक स्थलों को संरक्षित करना और स्थानीय समुदायों की सहभागिता को सुनिश्चित करना है। प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवाचार) गोकुल बुटेल, विधायक देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, आशीष शर्मा, हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष केहर सिंह खाची, प्रधान सचिव वन ओंकार चन्द शर्मा, प्रधान मुख्य अरण्यपाल राजीव कुमार, प्रबंध निदेशक पवनेश कुमार, अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल नागेश गुलेरिया और विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।