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सतपुड़ा भवन में आग बेकाबू होने की 4 बड़ी वजह:फायर सेफ्टी सिस्टम फेल; अफसर ने बताया किस तरह धुएं के बीच से निकलकर जान बचाई…..

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राजधानी भोपाल के मंत्रालय वल्लभ भवन के सामने है सतपुड़ा भवन। यह इमारत छह मंजिला है। प्रदेश का सबसे बड़ा प्रशासनिक भवन। इसमें 1000 से ज्यादा अफसर-कर्मचारी काम करते हैं। दो दिन की छुट्‌टी के बाद सप्ताह के पहले दिन सोमवार को रोजाना की तरह माहौल था। सभी अधिकारी-कर्मचारी काम में व्यस्त थे। शाम करीब 4 बजे बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर आग लग गई।

आग की खबर बेसमेंट से लेकर छठी मंजिल तक खबर भी आग की ही तरह फैल गई। सभी अपनी-अपनी जान बचाने के लिए दौड़े। भगदड़ मच गई। गिरने से कुछ लोग घायल भी हुए। कुछ ही देर में सभी कर्मचारी नीचे ग्राउंड पर थे। ग्राउंड से बिल्डिंग का नजारा हैरान करने वाला था। बिल्डिंग से आग की लपटें निकल रही थीं।

आनन-फानन में फायर ब्रिगेड बुलाई। आग बुझाने का काम शुरू कर दिया गया। बिल्डिंग के अंदर पूरी तरह धुआं भर गया था। सभी अफसर भी पहुंच गए। देखते ही देखते आग ने चार फ्लोर को चपेट में ले लिया। आग बेकाबू होती गई। चारों फ्लोर पर 100 से ज्यादा एसी लगे हैं। अंदर से एयर कंडीशन के फटने से धमाके की आवाजें आ रही थीं। मंगलवार सुबह 6 बजे तक आग पूरी तरह काबू में नहीं आ सकी। 50 से ज्यादा फायर ब्रिगेड आग बुझाने में जुटी रहीं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृहमंत्री अमित शाह तक से मदद मांग ली। बताया गया- आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी है। सीएम ने तीन सीनियर अफसरों की जांच कमेटी भी बना दी है। बताया गया कि लोकायुक्त, EOW और स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी शिकायतों की 12 हजार से ज्यादा फाइलें जल गईं। कोविड का रिकॉर्ड भी खाक हो गया है।

जिस तरफ आग लगी वहां स्वास्थ्य संचालनालय, आदिम जाति कल्याण और परिवहन की शाखा संचालित होती हैं। फर्स्ट फ्लोर पर एनआईसी है। इसी भवन में वन विभाग, आयुष, चिकित्सा शिक्षा, संभागीय पेंशन कार्यालय सहित तमाम विभागों के दफ्तर हैं।

सबसे पहले प्रत्यक्षदर्शी से जानते हैं कि कैसे लगी आग…

शाम करीब 4:15 से 4:20 के बीच बजे होंगे। मैं छठी मंजिल पर था, तभी ऑफिस में काम करने वाले एक कर्मचारी ने आकर बताया- बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर शॉर्ट सर्किट से आग लगी है। सभी लोग बिल्डिंग खाली कर रहे हैं। यह सुनकर मैं भी घबरा गया। अन्य साथियों की तरह मैं भी सीढ़ियों से नीचे आया। जैसे ही, हम पांचवीं मंजिल पर पहुंचे, कॉरिडोर में थोड़ा धुआं था। मुंह को कवर करके धीरे-धीरे हम चौथी मंजिल की ओर बढ़े। यहां धुआं काफी गहरा और ज्यादा था। हमें समझ आ गया था कि आग ज्यादा बड़ी है, लेकिन उम्मीद थी फायर फाइटर टीम जल्द ही काबू कर लेगी। करीब 5 से 7 मिनट बाद हम दूसरी मंजिल पर पहुंच गए। यहां सब कुछ साफ था। इसके बाद हम नीचे ग्राउंड पर पहुंच गए। यहां से देखा तो बिल्डिंग से आग की लपटें निकल रही थीं।

फायर सेफ्टी के लिए लगाए गए फायर एक्सटिंग्विशर आग लगने के बाद एक्टिव नहीं हुए। इसके चलते तीसरी मंजिल पर लगी आग ने चौथी पांचवी और छठवीं मंजिल को भी चपेट में ले लिया। सतपुड़ा भवन में फायर सेफ्टी सिस्टम के तहत वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बिछाया गया है, लेकिन आग लगने के बाद पाइप की कमी के कारण आग बुझाने के लिए पानी नहीं चलाया जा सका। बिल्डिंग छह मंजिला है। इसकी ऊंचाई 80 फीट से ज्यादा है। इस कारण भी पानी अंदर तक नहीं पहुंचा। बाहर तो पानी से आग बुझ रही थी, लेकिन अंदर नहीं।

तेज हवा से तेजी से फैली : जिस समय आग लगी, तब करीब 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी। इस कारण आग फैलने की गति काफी तेज रही। आग बुझाने के प्रयास छोटे पड़ गए। जिस जगह आग लगी थी, वहां फायर ब्रिगेड के जाने के लिए रास्ता नहीं था। इस कारण फायर ब्रिगेड दूर खड़ी करना पड़ी। इसमें भी समय लगा।

लकड़ी का फर्नीचर और कागज: चारों मंजिलों पर लकड़ी और कागज का सामान ज्यादा था। छठी मंजिल पर कुछ समय पहले ही रिनोवेशन हुआ है। यहां सभी फर्नीचर, एसी, अलमारी आदि सामान नया था। प्लास्टिक, फोम का उपयोग भी किया गया था। इससे आग भड़क उठी। करीब 10 करोड़ की लागत से किए जा रहे रिनोवेशन में फायर सेफ्टी सिस्टम को शामिल नहीं किया गया। फायर एक्सटिंग्विशर और स्मोक डिटेक्टर छठी मंजिल पर ही लगे थे।

एसी भी फटे, गैस सिलेंडर भी थे : आग से चारों मंजिलों में लगे 40 से ज्यादा एसी भी फट गए, जिसके कारण आग और भीषण हो गई। एक जानकारी यह भी सामने आई कि गैस सिलेंडर भी रखे हुए थे, जो फट गए।

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