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मध्यप्रदेश आज सड़के सपनों को साकार करने का जरिया….

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मध्यप्रदेश के विकास में पिछले बारह वर्ष अभूतपूर्व रहे हैं। इस अवधि में प्रदेश ने विकास के नये आयाम स्थापित किये हैं। मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास में सहज रूप से सड़कों के विस्तार/उन्नयन की आवश्यकता को उजागर किया। विकसित मध्यप्रदेश में जहाँ वाहनों का आवागमन राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग, मुख्य जिला मार्ग तथा अन्य जिला मार्गों पर कई गुना बढ़ा, वहीं विकास की रफ्तार ने वाहनों की रफ्तार में भी वृद्धि कर दी। उन्नत किस्म के अद्यतन वाहन मध्यप्रदेश की सड़कों पर दिखायी देने लगे, जिनके लिये उक्त गुणवत्ता के मार्गों की आवश्यकता पड़ी। वाहनों के बढ़ते दबाव तथा मार्ग की गुणवत्ता के सुधार के साथ-साथ एक चिन्ता मार्गों पर बढ़ रही दुर्घटनाओं की भी उत्पन्न हुई, जिसके लिये मार्ग की बनावट में भी आवश्यकतानुसार सुधार किया गया।

 

 

सड़क निर्माण/उन्नयन हेतु वर्षवार किये गये बजट प्रावधान एवं
निर्माण/उन्नयन की गयी सड़कों की जानकारी

 

क्र.

 

वर्ष

 

व्यय (राशि करोड़ में)

 

निर्माण/उन्नयन की गयी सड़कों की लम्बाई (किलोमीटर)

1.

2005-06

862.59

3476

2.

2006-07

1284.13

4123

3.

2007-08

1962.48

2803

4.

2008-09

1801.30

3951

5.

2009-10

2019.82

2584

6.

2010-11

2116.00

2906

7.

2011-12

1697.00

3020

8.

2012-13

2080.39

2804

9.

2013-14

2412.69

3010

10.

2014-15

2809.05

2722

11.

2015-16

2367.00

2382

12.

2016-17

369

1200

 

योग

 

2178145

 

34900

 

मध्यप्रदेश शासन लोक निर्माण विभाग द्वारा विभिन्न शासकीय भवनों को समय-सीमा में गुणवत्तापूर्वक पूर्ण करने के उद्देश्य से लोक निर्माण विभाग के अधीन पीआईयू की संरचना की गयी। विगत 8 वर्ष में पीआईयू द्वारा भवन निर्माण कार्यों का सफलतापूर्वक सम्पादन किया गया है। कुल 5055 करोड़ की लागत से 3720 कार्य पूर्ण किये गये।

पीआईयू के कार्यों का विवरण

 

वर्ष

स्वीकृत कार्य

पूर्ण कार्य

व्यय राशि
(रु. करोड़ में)

2009-10

38

00

00

2010-11

1117

01

0.41

2011-12

943

22

142

2012-13

1373

393

588

2013-14

644

788

1158

2014-15

326

956

1094

2015-16

337

1228

1471

2016-17

591

336

602

 

कुल

 

5369

 

3724

 

5055.41

 

प्रदेश की वे योजनाएँ जिन्हें भारत सरकार ने सराहा

भारत सरकार की व्हीजीएफ (Viability Gap Funding) योजनांतर्गत लाभ लेकर मध्यप्रदेश सर्वाधिक सड़कों के निर्माण में भी प्रथम रहा है।

मध्यप्रदेश राष्ट्र का एकमात्र राज्य है, जहाँ एशियन डेव्हलपमेंट बैंक ने मार्ग निर्माण के क्षेत्र में पाँचवीं बार ऋण दिये जाने में अपनी रुचि प्रदर्शित की है। मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा एशियन डेव्हलपमेंट बैंक से चार चरण में 11000 लाख डॉलर के वित्तीय ऋण प्राप्त किये गये हैं। विगत 10 वर्ष में इन ऋणों के माध्यम से प्रदेश में 4500 कि.मी. सड़कों का निर्माण हुआ है। यहाँ यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि प्राप्त ऋण का निश्चित समय-सीमा में समस्त औपचारिकताएँ पूर्ण करते हुए उपयोग कर लिये जाने की वजह से एशियन डेव्हलपमेंट बैंक द्वारा अंतर्राष्ट्रीय-स्तर पर मध्यप्रदेश को प्रशंसित किया गया तथा अन्य देश एवं राज्यों को मध्यप्रदेश के अनुसरण का सुझाव भी दिया गया। एडीबी तथा ब्रिक्स (BRICS) देशों द्वारा प्रायोजित एनडीबी (New Development Bank)से रु. 6000 करोड़ के ऋण का उपयोग आगामी वर्षों में 3000 कि.मी. लम्बाई की सीमेंट-कांक्रीट की सड़कों के निर्माण/उन्नयन में किया जायेगा।

भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं की उपलब्धि

विगत दशक के विकास की रफ्तार को बढ़ाते हुए आगामी दस वर्ष में लोक निर्माण विभाग द्वारा मध्यप्रदेश को और अधिक गतिशील और उन्नत बनाये जाने के दृष्टिकोण से अधोसंरचना विकास में अपने लक्ष्य को अधिक बढ़ाते हुए कतिपय महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। प्रथम चरण में राज्य के सड़क नेटवर्क को पुन: परिभाषित कर नवीन राज्य राजमार्ग, मुख्य जिला मार्ग घोषित किये गये हैं। इसी प्रकार राज्य राजमार्गों को नवीन राष्ट्रीय राजमार्गों में परिवर्तित किया गया है।

 

राज्य राजमार्ग से राष्ट्रीय राजमार्ग (अधिसूचित)

2611 कि.मी.

राज्य राजमार्ग से राष्ट्रीय राजमार्ग

(सैद्धांतिक रूप से घोषित, वर्तमान में बीओटी के अंतर्गत संचालित)

2383 कि.मी.

मुख्य जिला मार्ग से राज्य राजमार्ग

3778 कि.मी.

अन्य जिला मार्ग से मुख्य जिला मार्ग

4211 कि.मी.

 

राज्य सरकर की फ्लेगशिप योजनाओं की उपलब्धियाँ

मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा वाणिज्यिक कर, परिवहन, वन, मण्डी तथा खनिज विभागों से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय करों के संग्रहण के लिये 24 एकीकृत जाँच चौकियों का निर्माण तथा दो केन्द्रीय नियंत्रण प्रणाली का निर्माण भी किया जा रहा है, जिसमें इंदौर तथा ग्वालियर स्थित केन्द्रीय नियंत्रण प्रणाली तथा 19 एकीकृत जाँच चौकियों का निर्माण कार्य सम्पन्न कर लिया गया है। इससे न सिर्फ इन जाँच चौकियों से यातायात सुगम हुआ है, वरन राजस्व चोरी पर रोक लगाने में सफलता प्राप्त की गयी है।

दुर्घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (एआरएस) के माध्यम से राज्य राजमार्गों को एकसूत्र में पिरोया गया है तथा राज्यमार्ग पर जीपीएस धारी एम्बूलेंस तथा टोल नाकों पर कैमरे की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। म.प्र. सड़क विकास निगम द्वारा विकसित ‘Accident Response System’ प्रणाली को ‘108 सेवा” से जोड़ा जा रहा है। इससे पूरे मध्यप्रदेश में सड़क दुर्घटना में घायलों को त्वरित एम्बूलेंस सहायता प्रदान की जा सकेगा।

2003-16 तक के विकास का तुलनात्मक विवरण

वर्ष 1994-95 से वर्ष 2004-05 तक लोक निर्माण विभाग में योजना मद में सड़क निर्माण/उन्नयन के लिये रु. 3506.25 करोड़ का व्यय किया गया। इस अवधि में मात्र 11462.00 किलोमीटर सड़कों के निर्माण/उन्नयन की कार्यवाही की गयी। योजना मद में इसी प्रकार वर्ष 2001-02 से वर्ष 2004-05 तक भवन निर्माण के संबंध में मात्र रु. 160.60 करोड़ का ही व्यय किया जा सका। वर्ष 2001-02 से वर्ष 2004-05 के मद गैर-योजना मद में मात्र रु. 509.47 करोड़ का व्यय मार्ग निर्माण/उन्नयन में तथा रु. 138.45 करोड़ का व्यय भवन निर्माण में किया जा सका।

इसकी तुलना में वर्ष 2005-06 से वर्ष 2015-16 के मध्य योजना मद में सड़क निर्माण/उन्नयन के लिये लगभग रु. 21412 करोड़ व्यय कर 33781 कि.मी. सड़कों का निर्माण किया गया। वर्ष 2016-17 में योजना मद में रु. 5000 करोड़ की राशि स्वीकृत हैं, जिसका उपयोग सीमेंट-कांक्रीट की सड़कें बनाने में भी होगा।

निजी पूँजी निवेश के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश की गणना राष्ट्र के अग्रणी राज्यों में की जाती है। विगत ग्यारह वर्ष में (वर्ष 2005-06 से वर्ष 2016-17 के मध्य) लगभग रु. 14521 करोड़ की राशि से लगभग 6500.00 कि.मी. उच्च गुणवत्तापूर्ण सड़कों का निर्माण किया गया है। मध्यप्रदेश ही एकमात्र राज्य है जहाँ बीओटी, बीओटी + एन्युटी तथा ओएमटी तीनों वित्तीय मॉडलों में आवश्यकतानुसार निजी पूँजी निवेश को प्रोत्साहित करते हुए मार्ग निर्माण/संधारण की कार्यवाही की गयी है। इतनी अधिक मात्रा में निजी पूँजी निवेश इस तथ्य का भी द्योतक है कि निवेशकों का विश्वास भी राज्य के प्रति बढ़ा है।

विभाग के बजट में इस दौरान हुई वृद्धि

वर्ष 1994-95 से वर्ष 2004-05 तक लोक निर्माण विभाग में योजना मद में सड़क निर्माण/उन्नयन के लिये रु. 3506.25 करोड़ का व्यय किया गया। इस अवधि में मात्र 11462.00 कि.मी. सड़कों के निर्माण/उन्नयन की कार्यवाही की गयी। योजना मद में इसी प्रकार वर्ष 2001-02 से वर्ष 2004-05 तक भवन निर्माण के संबंध में मात्र रु. 160.60 करोड़ का ही व्यय किया जा सका। वर्ष 2001-02 से वर्ष 2004-05 के मद गैर-योजना मद में मात्र रु. 509.47 करोड़ का व्यय मार्ग निर्माण/उन्नयन में तथा रु. 138.45 करोड़ का व्यय भवन निर्माण में किया जा सका।

इसकी तुलना में वर्ष 2005-06 से वर्ष 2015-16 के मध्य योजना मद में सड़क निर्माण/उन्नयन के लिये लगभग रु. 21412 करोड़ व्यय किये गये तथा इससे 33781 कि.मी. सड़कों का निर्माण किया गया। वर्ष 2016-17 में योजना मद में रु. 5000 करोड़ की राशि स्वीकृत है, जिसका उपयोग सीमेंट-कांक्रीट की सड़कें बनाने में भी होगा।

निजी पूँजी निवेश के क्षेत्र में भी मध्यप्रदेश की गणना राष्ट्र के अग्रणी राज्यों में की जाती है। विगत ग्यारह वर्ष में (वर्ष 2005-06 से वर्ष 2016-17 के मध्य) लगभग रु. 14521 करोड़ की राशि से लगभग 6500.00 कि.मी. उच्च गुणवत्तापूर्ण सड़कों कानिर्माण कार्य किया गया है। मध्यप्रदेश ही एकमात्र राज्य है, जहाँ बीओटी, बीओटी+एन्युटी तथा ओएमटी तीनों वित्तीय मॉडलों में आवश्यकतानुसार निजी पूँजी निवेश को प्रोत्साहित करते हुए मार्ग निर्माण/संधारण की कार्यवाही की गयी है। इतनी अधिक मात्रा में निजी पूँजी निवेश इस तथ्य का भी द्योतक है कि निवेशकों का विश्वास भी राज्य के प्रति बढ़ा है।

लाभान्वित हितग्राहियों की संख्या (अजा/अजजा/ओबीसी सहित)

विगत 12 वर्ष में लोक निर्माण विभाग ने सड़क एवं भवन निर्माण की अनेक परियोजनाएँ पूर्ण की हैं, जिनका लाभ किसी व्यक्ति विशेष को न मिलकर जन-सामान्य तक पहुँचा है।

क्षेत्र विशेष के या व्यक्तिगत जीवन में आये बदलाव

प्रदेश में सड़कों के विकसित तंत्र का लाभ किसी एक वर्ग विशेष तक सीमित न रहकर प्रदेश के पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुँचा है। ‘जोड़ना-जुड़ना ही विकास है” को चरितार्थ करते हुए भोपाल-इंदौर राजमार्ग ने औद्योगिक शहर इंदौर में उपलब्ध अवसरों को बड़े जन-समूह के लिये खोल दिया है। इन दो शहरों के बीच की दूरी तय करने में पहले जहाँ 5 से 6 घंटे लगते थे अब यही दूरी 2 से 3 घंटे में पूरी हो जाती है।

नागौद-सिंहपुर-कलिंजर मार्ग पर पड़ने वाले कई गाँवों के लिये यह सड़क बदलाव का संदेश लेकर आयी है। बाढ़ के कारण जो गाँव पहले अलग-थलग पड़ जाते थे, अब वर्षभर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं।

बैगा आदिवासियों के लिये शहडोल-सिंहपुर-तुलरा-पडरिया मार्ग सरकार की योजनाओं एवं विकास का वाहक बनकर आया है। यह मार्ग दूर-दराज के आदिवासी हाट-बाजारों को शहर के बड़े बाजारों से जोड़कर उन्हें मुख्य धारा में लाने का कार्य बखूबी कर रहा है।

रीवा क्षेत्र के किसानों के लिये रीवा-हनुमना मार्ग वरदान के रूप में आया है। अब वे अपनी फसल एवं अन्य उत्पादों को कम समय में मण्डी पहुँचा पाते हैं।

वाहन पर आधारित रोजगार पर जीवन-यापन करने वाले बस, ट्रक एवं ऑटो चालक सड़कों की सुधरी हुई गुणवत्ता के लिये मध्यप्रदेश सरकार को धन्यवाद देते नहीं थकते हैं। अच्छी सड़कों के कारण उनकी गाड़ियों को होने वाला नुकसान, मेंटेनेंस, ईंधन का खर्च काफी कम हो गया है।

प्रदेश में विकसित बायपास मार्गों ने शहरों के विकास में भी नये आयाम जोड़ दिये हैं।

आज मध्यप्रदेश की विकास दर दो अंकों में है। इसका प्रमुख कारण पिछले 12 वर्ष में हुआ सड़कों का विकास ही है। मध्यप्रदेश में आज सड़कें सपनों को साकार करने का जरिया बनकर आयी हैं ओर उनकी अच्छी गुणवत्ता मध्यप्रदेश की पहचान बनी है।

 

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