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निर्वाचन शून्य मामले में बोली नीना वर्मा, ‘सुप्रीम कोर्ट जाना मेरा अधिकार, न्याय मिलेगा’….

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नीना वर्मा ने कहा कि चुनाव के दौरान अधूरा नामांकन भरने के कारण जो निर्वाचन शून्य करने की बात कही गई है। वो गलत है, उन्होंने कोई तथ्य नहीं छुपाए हैं। मीडिया से बात करते हुए नीना वर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट जाना मेरा अधिकार था, माननीय न्यायालय का जो आदेश आया था, उसमें मुझे 45 दिन का समय अपील के लिए दिया गया था। अभी गुरुवार को याचिका स्वीकृत हो गई है। आगे सुनवाई की तारीख मिली है।उन्होंने बताया कि ‘मेरे खिलाफ जो याचिका लगायी गई थी वो नामांकन और शपथपत्र को लेकर लगाई थी कि मैंने जरूरी जानकारी का कॉलम खाली छोड़ा है। जबकि माननीय न्यायालय और चुनाव आयोग के हिसाब से सारी जानकारी भरी थी। अपनी शिक्षा, संपत्ति का ब्यौरा और मेरे खिलाफ प्रकरणों की जानकारी मैंने भरी थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने और न्यायालय को लगा कि मैंने जानकारी छुपाई है, इसी को आधार बनाते हुए मैंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है।’
गौरतलब है कि मप्र हाईकोर्ट ने धार से विधायक निर्वाचित हुई नीना वर्मा का निर्वाचन अधूरे नामांकन कागजात के कारण शून्य घोषत कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने नीना वर्मा को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए 45 दिनों का समय दिया है। ये दूसरा मौका है अब नीना वर्मा का निर्वाचन शून्य घोषित किया गया है।

इसके पहले 2012 में बालमुकुंद गौतम की याचिका पर नीना वर्मा का चुनाव शून्य घोषित किया था। इस मामले में रिटायर होने के 7 दिन पहले जस्टिस आलोक वर्मा ने फैसला सुनाया था। हालांकि प्रकरण की अंतिम सुनवाई 21 सितंबर को हुई थी, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। नीना वर्मा बीजेपी के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी हैं।

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