सूखा, रोज़गार और भूख से हलकान किसान बुंदेलखंड से पलायन करने को मजबूर हैं. प्रदेश में बेबसी को लेकर बुंदेलखंड कई बार सुर्खियों में रहा है, लेकिन हर बार हालात बद से बदतर होते रहे. मध्य प्रदेश के 6 ज़िलों से किसानों का पलायन बदस्तूर जारी है. बीजेपी और कांग्रेस की सरकारें आईं और गई लेकिन बुंदेलखंड बेबस का बेबस रहा. मध्य प्रदेश के 6 और यूपी के 7 ज़िलों को मिलाकर कुल 13 जिलों से बुंदेलखंड बनता है. लेकिन यहां के लगभग हर हिस्से से पलायन जारी है. यहां के किसान मजदूर बनकर दिल्ली, गुरुग्राम, गाजियाबाद, पंजाब, हरियाणा और जम्मू एवं कश्मीर तक काम की तलाश में जाते हैं.
बुन्देलखण्ड में मजदूरों और किसानो का पलायन थमने का नाम नही ले रहा. पन्ना के ग्राम बराछ सहित जिले के सैकडों गांवों के किसान-मजदूर सूखे के चलते पलायन करने को मजबूर हैं, अकेले पन्ना के बराछ गांव से ही करीब 400 लोगों का पलायन हो चुका है. बराछ गांव मे इन दिनों मानो मातम पसरा है. ग्ग्रामीणों की मानें तो गांव से सैकड़ों लोग अपने बच्चों को लेकर इस कड़कड़ाती ठण्ड मे पेट पालने और दो वक्त की रोटी कमाने के लिये बड़े-बड़े महानगरों मे पलायन करने को मजबूर हैं. बुंदेलखंड के मजदूर दिल्ली, गुरुग्राम, गाजियाबाद, पंजाब, हरियाणा और जम्मू एवं कश्मीर तक काम की तलाश में जाते हैं.
कुछ ऐसे ही हाल टीकमगढ़ के भी है. जहां हालात कुछ बेहतर नहीं हैं. गांव की गलियों में सन्नाटा इस कदर पसरा है कि दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता, कई इलाकों में पानी की कमी के चलते गांव के गांव खाली हो चुके है और लोगो के घरों में ताले लटकते नज़र आ रहे हैं. मामले में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव का कहना है कि प्रदेश की सरकार लंबे वक्त से सत्ता में है लेकिन बुंदेलखंड के लिए कुछ नहीं किया. यूपीए सरकार ने करीब 7 हज़ार करोड़ का बुंदेलखंड पैकेज दिया लेकिन पूरा पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के मुताबिक ये बात सही है कि बुंदेलखंड में परेशानी है लेकिन सरकार हर मोर्चे पर किसानों के साथ खड़ी है और हर संभव समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है.