गौर हो कि कुल्लू के अराध्य देव रघुनाथजी के मंदिर की सुरक्षा व यहां के हिसाब-किताब में पारदर्शिता व व्यवस्था बनाने के चलते कांग्रेस सरकार ने जुलाई-2016 में इसे अधिसूचित मंदिरों की श्रेणी में लाने की अधिसूचना जारी की थी। इसका महेश्वर सिंह सहित देव समाज की कई संस्थाओं ने विरोध किया था। साथ ही महेश्वर इसके खिलाफ हाईकोर्ट में गए और याचिका दायर की कि यह मंदिर उनके परिवार की निजी संपत्ति है, जिसे सरकार को अपने अधीन करने का अधिकार नहीं।
न्यायालय की ओर से सरकारीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाई गई। ऐसे में प्रार्थी की याचिका पर फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह मसला रिट याचिका से नहीं निपटाया जा सकता, क्योंकि यह सिविल सूट का विवाद है। बाद में 31 अगस्त 2017 को हाईकोर्ट ने पहले के लगाए स्टे को विकेट कर दिया।
महेश्वर की याचिका खारिज होते ही दो सितंबर को एडीसी कुल्लू की अध्यक्षता में मंदिर ट्रस्ट के सरकारी एवं गैर सरकारी सदस्यों की मंदिर परिसर में बैठक हुई। इसके बाद महेश्वर ने सीधा सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और अक्टूबर 2017 में अपने वकील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अब जबकि प्रदेश सरकार ने ही रघुनाथजी मंदिर को अधिसूचित मंदिरों की श्रेणी से बाहर कर दिया तो मामला अपने-आप सुलझ गया है। रघुनाथजी मंदिर पर पूर्ण रूप से उनके छड़ीबरदार व राजपरिवार का अधिकार बहाल कर दिया गया है।