Home मध्य प्रदेश .राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को एसएटीआई...

.राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को एसएटीआई परिसर में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित किया।….

21
0
SHARE

इस सम्मेलन में आरएसएस द्वारा चलाए जा रहे पांच आयाम की चर्चा की, जिसमें कुटुंब प्रबोधन, ग्राम विकास, गौ संरक्षण, सामाजिक समरसता और धर्म जागरण के बारे में अपने विचार रखे। उन्होंने अपने संबोधन में पूरा फोकस जात-पात का भेद खत्म करने पर किया।

उन्होंने 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर कार्यकर्ताओं को अच्छा कार्यकर्ता बनने का आह्वान किया। इस मौके पर उन्होंने विवेकानंदजी के जीवन से जुड़े कई संस्मरण सुनाए और संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जीवन पर प्रकाश डाला।

सामाजिक समरसता : हमारे समाज की हजारों साल पुरानी बीमारी है। जल्दी ठीक नहीं होगी, वक्त लगेगा। पानी, मंदिर और श्मशान पर सभी का प्रवेश हो। इस संक्रांति पर अपने घरों में काम करने वाले लोगों के घर जाए और तिल-लड्डू देकर आएं। अगले त्योहारों पर उन्हें अपने घर बुलाएं। जात- पात का भेद नहीं होना चाहिए। समाज को जगाओ। गौरव और स्वाभिमान याद दिलाओ। जिन्होंने लालच में धर्म बदला है उनकी घर वापसी कराओ। धर्मांतरण को रोका। हिंदू बढ़ाओ और अपनी संख्या बढ़ाओ।

कुटुंब प्रबोधन : शहर में बच्चों और माता-पिता के बीच प्राइवेसी इतनी ज्यादा न हो कि एक-दूसरे मतलब न रहे। आत्मीयता के भाव से कुटुंब को बचाओ। एक सप्ताह में एक दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें। एक-दो घंटे गपशप करें लेकिन सिनेमा, राजनीति और क्रिकेट पर बात न करें। गोदी में बैठने वाले बच्चों को शामिल किया जाए। भाषा, भूषा, भजन, भोजन, भवन और भ्रमण हिंदू संस्कृति के लिए जरूरी हैं। हिंदू हैं तो दिखना चाहिए।
गाय के पालन से सभी को भला होता है। गोपालन से मुस्लिम का भी कल्याण होता है। गोहत्या रोकी जाए।

ग्राम विकास :गांवों का विकास सभी चाहते हैं। इसलिए आपस में मिलकर अपने गांव का विकास करें। उन्होंने 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर कार्यकर्ताओं को अच्छा कार्यकर्ता बनने का आह्वान किया। इस मौके पर उन्होंने विवेकानंदजी के जीवन से जुड़े कई संस्मरण सुनाए और संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जीवन पर प्रकाश डाला।

सामाजिक समरसता : हमारे समाज की हजारों साल पुरानी बीमारी है। जल्दी ठीक नहीं होगी, वक्त लगेगा। पानी, मंदिर और श्मशान पर सभी का प्रवेश हो। इस संक्रांति पर अपने घरों में काम करने वाले लोगों के घर जाए और तिल-लड्डू देकर आएं। अगले त्योहारों पर उन्हें अपने घर बुलाएं। जात- पात का भेद नहीं होना चाहिए। समाज को जगाओ। गौरव और स्वाभिमान याद दिलाओ। जिन्होंने लालच में धर्म बदला है उनकी घर वापसी कराओ। धर्मांतरण को रोका। हिंदू बढ़ाओ और अपनी संख्या बढ़ाओ।

शहर में बच्चों और माता-पिता के बीच प्राइवेसी इतनी ज्यादा न हो कि एक-दूसरे मतलब न रहे। आत्मीयता के भाव से कुटुंब को बचाओ। एक सप्ताह में एक दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ भोजन करें। एक-दो घंटे गपशप करें लेकिन सिनेमा, राजनीति और क्रिकेट पर बात न करें। गोदी में बैठने वाले बच्चों को शामिल किया जाए। भाषा, भूषा, भजन, भोजन, भवन और भ्रमण हिंदू संस्कृति के लिए जरूरी हैं। हिंदू हैं तो दिखना चाहिए।
गाय के पालन से सभी को भला होता है। गोपालन से मुस्लिम का भी कल्याण होता है। गोहत्या रोकी जाए।गांवों का विकास सभी चाहते हैं। इसलिए आपस में मिलकर अपने गांव का विकास करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here