तेजी से दौड़ती ज़िंदगी में सबको जल्दी है आगे बढ़ने की, लेकिन इस तेज रफ्तार ज़िंदगी में कहीं आप इतने आगे न बढ़ जायें कि वहाँ से लौटना मुश्किल हो जाये। आशय यह कि सड़क पर वाहनों की दौड़ में लक्ष्य को पाने की जल्दी में कहीं आप अपनी ज़िंदगी न खो दें और अपनों को दु:खी और बेसहारा छोड़ जायें।
आये दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं से सभी चिंतित हैं। दुर्घटनाओं का आँकड़ा दिन–प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। चिंता इस कदर बढ़ गई है कि दुर्घटना के कारणों को ढूँढकर उसमें सुधार किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदारी तो स्वयं इंसान की भी बनती है। इसके लिये सभी को जागरूक होना होगा। सभी में चाहे वे पदयात्री हों या वाहन–चालक, साइकिल–चालक हो या हाथ–ठेला चलाने वाला। नियम–कायदों का पालन करना और करवाना, दोनों ही जिम्मेदारी सभी की है। दुर्घटना से बचाव के विभिन्न तरीकों को भी अपनाना होगा। जैसे दो–पहिया चालक को हेलमेट और चार–पहिया वाहन चालक को सीट बेल्ट। पदयात्री को जेब्रा क्रॉसिंग का उपयोग और साइकिल चालक को भी ट्रॉफिक सिग्नल का पालन करना होगा।
वैसे भी दुर्घटना के मुख्य कारणों में तेज गति से वाहन चलाना, आगे की गाड़ी से सही दूरी न रखना, अपनी लेन में न चलना, खतरनाक तरीके से ओवरटेक करना और एक्सीडेंट होने पर ड्रायवर की ही जिम्मेदारी मानना होता है। जैसे ही एक्सीडेंट होता है, सबसे पहले लोग लड़ने–झगड़ने लगते हैं। इस बीच घायल को अस्पताल पहुँचाने की जिम्मेदारी कोई नहीं लेता, जबकि लोगों को दुर्घटना के तुरंत बाद घायल की मदद के लिये आगे आना होगा और घायल को अस्पताल पहुँचाना होगा, जिससे उसकी ज़िंदगी बच सके। साथ ही हमें यह ज्ञान भी होना चाहिये और लोगों को बताना भी चाहिये कि घायल की मदद करने वाले नेकदिल व्यक्ति से अस्पताल प्रबंधन एवं पुलिस कोई पूछताछ नहीं करती। यदि कोई बाईस्टेंडर या गुड सेमेरिटन, जो सड़क पर पड़े घायल व्यक्ति के लिये आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध करवाने के लिये फोन कॉल करता है, तो उसे फोन अथवा व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना नाम और व्यक्तिगत विवरण देने को वाध्य नहीं किया जा सकता।
टेक्नालॉजी के युग में हम लोग इतने आगे निकल गये हैं कि किताबी ज्ञान तो लगातार बढ़ रहा है, लेकिन व्यावहारिक ज्ञान में पीछे होते जा रहे हैं। बचपन में ही जहाँ माता–पिता अपने बच्चे को नैतिक शिक्षा के जरिये अच्छे–बुरे का ज्ञान देते थे, उसका आज अभाव है। आँकड़ों के हिसाब से सड़क दुर्घटना में 18 से 35 आयु वर्ग के लोगों की मृत्यु सबसे ज्यादा हुई है। युवा वर्ग को नियमों का ज्ञान और उन्हें जागरूक कर सड़क दुर्घटना से बचाया जा सकता है। वाहन चालक को स्वयं सावधानी से वाहन का उपयोग करना चाहिये, इससे सड़क दुर्घटना में कमी आयेगी।
आज के जमाने में वाहन–चालक को धैर्य रखने की भी बहुत जरूरत है। जाम की स्थिति में वाहन–चालक द्वारा जरूरत न होने पर भी हॉर्न बजाने से आगे चल रहे वाहन–चालक का ध्यान भंग करना जैसी स्थिति बनती है। आगे चल रहे धीमी गति के वाहन का कारण जाने बिना उसे ओवरटेक करना दुर्घटना का कारण बनता है।
जल्द ही नया एक्ट आने वाला है। इसमें 4 साल के बच्चों और महिलाओं को भी हेलमेट अनिवार्य किया गया है। एक्ट में कड़े प्रावधान किये जायेंगे। ट्रेफिक सिग्नल तोड़ने, स्टॉप–लाइन के बाहर जाने आदि पर भी चालान होगा। नियम तोड़ने वालों का लायसेंस 3 माह के लिये सस्पेंड किया जायेगा। आने वाले समय में टेक्नालॉजी का उपयोग इतना बढ़ेगा कि ड्रिंक कर वाहन में बैठने पर सेंसर के जरिये अल्कोहल की स्मेल से वाहन स्टार्ट ही नहीं होगा।
अभी हाल में ही देश में लागू हुए बीएस–4 मानकों के तहत अब दुपहिया वाहन बनाने वाली कम्पनियों ने अपने सभी मॉडल से हेड लाइट ऑन–ऑफ का सिस्टम भी खत्म कर दिया है। अब सभी दुपहिया वाहनों को एएचओ यानि ऑटोमेटिक हेड लाइट ऑन सिस्टम से लैस कर दिया गया है। इसमें जब तक इंजन स्टार्ट रहेगा, हेड लाइट ऑन ही रहेगी और लोग चाहकर भी हेड लाइट को बंद नहीं कर पायेंगे। दिन में हेड लाइट सिर्फ नये मॉडल की ही ऑन नहीं रहेगी, पुराने मॉडल के वाहनों की भी मेन्युअल लाइट ऑन रखनी पड़ेगी। ऐसा नहीं करने पर ट्रेफिक नियमों के विपरीत माना जायेगा और वाहन चालक को जुर्माना भरना पड़ेगा। देश में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते ग्राफ को कम करने के उद्देश्य से यह बदलाव किया गया है। सड़क पर कोहरे, धूल, बरसात और भारी ट्रेफिक में दुपहिया वाहनों की विजिबिलिटी कम हो जाती है। इस उद्देश्य से वाहनों में यह बदलाव किया गया है।
इसी प्रकार देश की हर कार निर्माता कम्पनी को अपनी कारों में ड्यूल फ्रंट एयर बैग्स, स्पीड वॉर्निंग अलर्ट और रिवर्स पार्किंग असिस्ट देना ही होगा। एआईएस यानि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टेण्डर्ड 145 इन फीचर को मैंडेटरी कर दिये जायेंगे। भारत सरकार की तरफ से यह कदम रोड एक्सीडेन्ट और केजुअल्टीज में कमी लाने के लिये है। इन सेफ्टी फीचर्स के हर कार में होने से हादसों की आशंका कम होने के आसार है। सरकार जल्द ही भारत एनसीएपी यानि न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम भी लांच करेगी। इन सेफ्टी फीचर्स के आ जाने से वाहनों की कीमत में इजाफा होगा, लेकिन हम सुरक्षित रहेंगे।
सड़क सुरक्षा के उद्देश्य से देश में जल्द ही भारी वाहन चालकों को लायसेंस देने की प्रक्रिया को कम्प्यूटराइज किया गया है। मानव हस्तक्षेप नहीं होने से जाली लायसेंस बनने में कमी आयेगी और सड़क दुर्घटना भी कम होगी। केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये ‘सुखद यात्रा‘ मोबाइल एप में यात्री किसी दुर्घटना, सड़क गुणवत्ता तथा गड्डे की जानकारी भी अपलोड कर सकेंगे। साथ ही टोल फ्री नम्बर 1033 की सहायता से आपात स्थिति की जानकारी दे सकेंगे। इस सेवा को एम्बूलेंस तथा खराब एवं दुर्घटना ग्रस्त वाहनों को ले जाने वाली सेवा के साथ भी जोड़ा गया है। यह सेवा कई भाषाओं में उपलब्ध हैं। केन्द्र सरकार ने राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों से प्रत्येक जिले में कम से कम एक ‘आदर्श वाहन प्रशिक्षण केन्द्र‘ बनाने को भी कहा है। इसके लिए मंत्रालय 1 करोड़ की वित्तीय सहायता देगा। इससे वाहन चालकों को सही प्रशिक्षण मिल सकेगा।
सड़क सुरक्षा के दस स्वर्णिम नियम में अनियंत्रित जेब्रा क्रासिंग पर पहले पैदल यात्रियों को सड़क पार करने दे। यह उनका हक है। इसके लिये रूके या वाहन को धीमी गति पर करे। आपको अपनी और आपके परिवार की सुरक्षा के लिये सीट बेल्ट का प्रयोग करना चाहिए। इसके प्रयोग करने से दुर्घटना के समय मौत की संभावना को 60 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है। दुर्घटना की रोकथाम के लिये यातायात नियमों और चिन्हों का पालन करना चाहिये।
भारत सरकार ने अगला सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाने की तिथि घोषित कर दी है। सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को 23 से 30 अप्रैल तक 29वां सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाने को कहा है। इस साल सप्ताह को ‘सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा’ थीम दी गई है।
इसी प्रकार आपकी और अन्य लोगों की सुरक्षा के लिये आवासीय और व्यावसायिक जगहों पर गति सीमा 30 किलोमीटर प्रति घंटा है पर वाहन की अनुकूल गति 20 किलोमीटर प्रति घंटा रखी जाना चाहिये। सड़क पर परेशानी और दुर्घटना से बचने के लिये वाहन को दुरुस्त रखें। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग नहीं करना चाहिये। जिससे ध्यान भंग न हो और दुर्घटना से बचे रहे। दुपहिया वाहन पर अपने सर की सलामती के लिये उच्च गुणवत्ता वाले हेलमेट का उपयोग करें। इससे चोटों की संभावना को 70 प्रतिशत तक घटाया जा सकता है। आपकी और अन्य सड़क प्रयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये वाहन कभी असुरक्षित ढंग से नहीं चलायें। सड़क का सबके साथ सहभाग करे और दूसरों का ध्यान रखें। नम्र रहे, सड़क पर क्रोध/रोष नहीं करें। जिम्मेदार बने, शराब पीकर गाड़ी न चलाये।
और क्या लिखूं मैं वह भयावह दृश्य जो देखते ही नहीं बनता, जिसको सोच कर ही रूह काँप जाती है। इस दृश्य को अपने शब्दों से भी नहीं बयान कर सकता और न करना चाहता हूँ। बस इतना कहना चाहता हूँ कि सड़क दुर्घटना में किसी की मौत न हो। यह शायद दुनिया की सबसे खतरनाक मृत्यु होती होगी, जो अनसोची और अनजान होती है। इसके पीछे अपने कैसे बिलखते है, वो अपन भगवान के पास जाकर भी नहीं देख सकते। इसलिये अपने लिये नहीं तो अपनों के लिये ही सही, सुरक्षित ड्राइव करे। यही आशा है…