शिवराज सिंह और तोमर पिछले दो चुनावों में अपने प्रबंधन में भाजपा को जीत दिला चुके हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को प्रदेश चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपे जाने से साफ हो गया है कि बीजेपी फिर एक बार शिवराज और तोमर की जोडी पर भरोसा करके चौथी बार एमपी की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में है। ऐसे संकेत मिल रहे थे कि बीजेपी शिवराज सिंह के करीबियों के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के विश्वस्त को मौका दे सकती है और शिवराज को तालमेल बिठाना मुश्किल होगा, लेकिन लंबी कवायद के बाद शिवराज सिंह अपनी बात मनवाने में कामयाब रहे हैं।
शिवराज सिंह और नरेन्द्र सिंह तोमर की जोड़ी के पुराने कारनामें किसी से छुपे नहीं है। 2008 का विधानसभा चुनाव हो या 2013 का, इस जोडी ने बीजेपी को दूसरी और तीसरी बार सत्ता में वापसी करने में अहम भूमिका निभायी थी। इस बार संकेत मिल रहे थे कि एक बार फिर नरेन्द्र सिंह तोमर प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे, लेकिन उन्हें चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपे जाने से साफ हो गया है कि अब वो विधानसभा चुनाव के मामले में प्रदेश अध्यक्ष से ज्यादा मजबूत और प्रभावी होंगे। हांलाकि राकेश सिंह के चुने जाने से किसी टकराहट के आसार बिल्कुल नहीं है, क्योकिं राकेश सिंह को तोमर का ही करीबी माना जाता है। कुल मिलाकर इसमें शिवराज सिंह और मजबूत होकर सामने आए हैं।