ऊना। सुबह आठ बजे। दिन वीरवार। अमर उजाला की टीम ऊना-अंब और नंगल रोड की ओर निकली। निजी स्कूलों की बसें बच्चों को स्कूल छोड़ने जा रही थीं। ट्रैफिक पुलिस ने एचआरटीसी वर्कशाप के पास नाका लगाया था। इस दौरान बारी-बारी पुलिस ने करीब आधा दर्जन स्कूल बसों का निरीक्षण किया। स्कूल बसों में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया गया था। कई नन्हें बच्चे बस की सीट पर ही सो रहे थे। छोटे-छोटे बच्चे हाथ में अपना बैग पकड़कर सीटों पर बैठे थे।
एक बस में तो बच्चों की संख्या इतनी थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं थी। जांच के दौरान एक बस में चालक सीट के पास ही करीब 18 छोटे-छोटे बच्चों को बैठाए हुआ था। जो हल्की ब्रेक लगाने पर ही हादसे का शिकार हो सकते हैं। उनको संभालने के लिए बस मेें कोई अटेंडेंट तक नहीं था। पुलिस टीम ने जब निजी स्कूल बस चालक से पूछा कि कंडक्टर कहां है, जबाव मिला- कंडक्टर दूजे गेड़े ते आणा अर्थात कंडक्टर दूसरे चक्कर में आएगा।
‘ऐत्थे केड़ा पहाड़ी लाका ए जेहड़ा एक्सिडेंट हो जाणा। नौनिहानों की जान पर हर समय खतरा मंडरा रहा है लेकिन निजी स्कूल चांदी कूटने के चक्कर में कई तथ्यों पर आंखें मूंदे बैठे हैं। कई बस चालकों के पास लाइसेंस तक नहीं है। साफ है कि नूरपुर बस हादसे के बाद भी निजी स्कूल प्रबंधक नौनिहालों की सुरक्षा को लेकर लापरवाह बने हुए हैं। निरीक्षण के दौरान पुलिस ने ओवरलोडिंग करने वाले करीब छह स्कूली बसों के चालान काटे। एसपी ऊना दिवाकर शर्मा ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस प्रभारियों को इस बारे में कड़े निर्देश दिए गए हैं। बच्चों की सुरक्षा से समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।