केके मिश्रा ने कहा कि, क्या ये बात सही नहीं है, कि जयपुर में उनकी संदिग्ध मौत हुई है। क्या ये अधिकार नहीं है कि, सुप्रीम कोर्ट में एसआईटी से जांच कराने के लिए याचिका लगायी जाए। यदि एक जज की संदिग्ध मौत पर आज भी धुंधला छाया हुआ है और जज की मौत को भी हमारी न्यायपालिका स्पष्ट नहीं कर पा रही है, तो मैं सोचता हूं कि ये दुर्भाग्यपूर्ण बात है। यदि सर्वोच्च न्यायालय का भाजपा सम्मान करती है, तो हम नहीं करते क्या, हमें तो और ज्यादा श्रृद्धा है।
उन्होंने कहा कि, भाजपा यदि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का सम्मान करती है, तो एससी एसटी एक्ट में जो फैसला हुआ है, उसमें रिवीजन में क्यों जा रही है। सरकार कहेगी कि फैसला उचित है या अनुचित है, रिवीजन की जरूरत क्या है। चूंकि लोया वाला फैसला संयोगवश भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहा है। तो दिल्ली से लेकर भोपाल तक उनके जितने छर्रे है, राहुल गांधी से इस्तीफा मांग रहे हैं। हम फिर मांग कर रहे हैं, कि जस्टिस लोया की मौत की जांच होनी चाहिए।
न्यायपालिका और सत्ता की जो दोस्ती चल रही है। ये मैं नहीं कह रहा हूं, कि जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा है कि, लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका और सरकार की दोस्ती खतरा है। ये कोई अवमानना नहीं है सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा है। जब एक जज की मौत पर यदि प्रश्न चिन्ह उठेंगे, उगलियां उठेगी तो निश्चित तौर पर लोकतंत्र पर खतरा होगा। मेरा फिर आरोप है कि, आतंकी घटनाओं से जुड़े हुए संघ के लोगों को जो एक-एक करके बरी कराया जा रहा है, वो भी एक बहुत बड़ा षडयंत्र है