राहुल गांधी एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता और उत्तर प्रदेश की अमेठी से लोकसभा सांसद हैं। दिसंबर 2017 में राहुल गांधी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। राहुल गांधी उस ‘नेहरू गाँधी’ परिवार से हैं जो भारत का प्रमुख राजनीतिक परिवार है। 2009 के आम चुनावों में राहुल गांधी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी और उसमें मिली भारी सफलता का श्रेय उन्हें दिया जाता है। राजनीतिक जीवन में उन्होंने भारत की ग्रामीण जनता से बहुत निकट का संबंध स्थापित किया और कांग्रेस दल के संगठन को मज़बूती दी। उनकी राजनीतिक रणनीतियों में ज़मीनी स्तर की सक्रियता को बल देना, ग्रामीण भारत के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मज़बूत करने की कोशिश करना, प्रमुख हैं। सतह से जुड़ने, अनुभव प्राप्त करने और भारत को निकट से जानने के लिए उन्होंने मनमोहन सिंह के नेतृत्व की सरकार में कोई भी पद लेने से मना कर दिया। आजकल राहुल अपना सारा ध्यान राजनीतिक अनुभव प्राप्त करने और पार्टी को जड़ से मज़बूत बनाने पर केंद्रित कर रहे हैं।
जीवन परिचय
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को 19 जून 1970 को नयी दिल्ली में एक पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम बहुत प्यार और उम्मीदों के साथ राहुल रखा गया। वह अपने माता पिता की दो संतानों में बड़े हैं और उनकी छोटी बहन प्रियंका गांधी वढेरा हैं। राहुल की दादी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं।
राहुल गांधी की प्रारम्भिक शिक्षा दिल्ली के ‘मॉर्डन स्कूल’ में हुई। इसके बाद वह शिक्षा के लिए ‘दून स्कूल’ भेजे गये जहाँ पर उनके पिता श्री राजीव गांधी ने भी शिक्षा प्राप्त की थी। सुरक्षा कारणों से 1981 से 1983 तक उन्होंने घर पर ही शिक्षा प्राप्त की। ‘फ्लोरिडा’ के हावर्ड विश्वविद्यालय से 1994 में उन्होंने ‘कला स्नातक’ की परीक्षा दी और सफलता प्राप्त की। 1995 में अपनी शिक्षा में उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में एम. फिल. किया। इसके पश्चात् तीन साल तक माइकल पोर्टर की प्रबंधन परामर्श कंपनी ‘मानीटर ग्रुप’ के साथ कार्य किया। इस कंपनी में वह ‘रॉस विंसी’ नाम से कार्य करते थे और उनके सहकर्मियों को उनके विषय में जानकारी नहीं थी। राहुल के आलोचक उनके इस क़दम को उनके भारतीय होने से उपजी उनकी हीनभावना मानते हैं जबकि, काँग्रेसी उनके इस क़दम को उनकी सुरक्षा से जोड़कर देखते हैं। सन् 2002 में वह भारत लौट आये और मुंबई से ‘अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी’ से संबंधित कंपनी चलायी।
राजनीति में प्रवेश
2003 में, राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश को लेकर समाचारपत्रों में समाचार छपते रहे किंतु उन्होंने इसकी कभी पुष्टि नहीं की। सार्वजनिक उत्सवों और कांग्रेस की बैठकों में वह अपनी माँ सोनिया गांधी के साथ दिखायी देते थे और बहिन प्रियंका गांधी के साथ एकदिवसीय क्रिकेट शृंखला देखने सदभावना यात्रा पर पाकिस्तान भी गये। 2004 में जब प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने अपने पिता स्व॰ राजीव गांधी के क्षेत्र अमेठी का दौरा किया, जो इस समय उनकी माता सोनिया गांधी का भी क्षेत्र है, उस समय उनके राजनीति में प्रवेश को लेकर मीडिया में अटकलें रहीं। किंतु उन्होंने स्पष्ट कहा – ‘मैं राजनीति के विरुद्ध नहीं हूँ। मैंने यह तय नहीं किया है कि मैं राजनीति में कब प्रवेश करूँगा और वास्तव में, करूँगा भी कि नहीं।’
मार्च 2004 में राहुल गांधी ने मई में होने वाले चुनाव में भाग लेकर राजनीति में प्रवेश की घोषणा की और अपने पिता के चुनाव क्षेत्र उत्तर प्रदेश के अमेठी क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा। इससे पहले, उनके चाचा संजय ने, एक विमान दुर्घटना से पहले, इस कुर्सी का नेतृत्व किया। यह कुर्सी उनकी माँ के नेतृत्व में थी जब तक वह पड़ोसी कुर्सी राए बरेली में स्थानान्तरित नहीं हुई थी। उस समय कांग्रेस संकट में थी। कांग्रेस के पास 80 में से 10 सीट थीं। उस समय राजनीति विशेषज्ञों को आश्चर्य हुआ क्योंकि वह प्रियंका गांधी के राजनीति में आने की अपेक्षा कर रहे थे। पार्टी के अधिकारियों के पास मीडिया के लिए CV तैयार नहीं था, उनका यह क़दम आश्चर्य जनक था। मीडिया में चर्चा थी कि क्या भारत के प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार का युवा सदस्य भारत की युवा आबादी के बीच में क्या कांग्रेस पार्टी की राजनीति को पुनर्जीवित करेगा? मीडिया के साथ अपने पहले इंटरव्यू में, राहुल गांधी ने विभाजनकारी राजनीति की निंदा की और कहा कि वह भारतीय जाति व्यवस्था और धार्मिक तनाव को कम करने का प्रयत्न करेंगे। उनके इस क़दम का अमेठी के लोगों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। अमेठी का इस परिवार के साथ एक लंबा संबंध था।
उन्होंने कहा कभी-कभी मैं यह सोच कर उदास हो जाता हूँ कि चुनाव प्रचार में यहाँ केवल एक दिन के लिए आ पाया और इस नाते मै अपनी बहन प्रियंका को धन्यवाद भी देना चाहता हूँ, जो यहाँ काफ़ी समय दे रही हैं। राहुल गाँधी ने अमेठी और रायबरेली के विकास के लिए किए गए कार्य और प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा मेरे पिता अपने दोनों हाथों से इस क्षेत्र के विकास को आगे बढ़ाते थे, मगर मेरा एक हाथ बंधा हुआ है। कारण, मुझे राज्य सरकार से सहयोग नहीं मिल पा रहा है, बल्कि वह विकास में बाधा डालती है। उन्होंने जनता से अपील की कि हम चाहते हैं आपके सहयोग से उत्तरप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बने और मैं दोनों हाथों से आपकी मदद कर सकूँ। ‘उन्होंने कहा कि अमेठी मेरे लिए परिवार जैसा है। राहुल ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा रिश्ता केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि परिवार जैसा है। यह रिश्ता मेरी दादी इंदिरा गाँधी और पिता राजीव गाँधी के समय से है। मेरा प्रयास हमेशा यह रहेगा कि मैं अमेठी के विकास को सुनिश्चित कर सकूँ। कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील करते हुए राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह अपना काम बहुत अच्छी तरह कर रहे है और वे आपके समर्थन के हकदार हैं। मुझे भी आपका स्नेह चाहिए। बचपन के एक किस्से को याद करते हुए राहुल ने बताया कि मैं जब दस बारह साल का था तब अपने पिता के साथ पहली बार यहाँ आया था। तेज़ गर्मी के दिन थे और रास्ते बहुत ख़राब थे। जब मेरे पिता गाँव में घूम रहे थे तब मैं भी उनके साथ था। अचानक मेरी नज़र एक जले हुए मकान पर पड़ी, जिसमें जला हुआ अनाज और यहाँ तक कि बर्तन भी जले हुए थे। तभी मेरी नज़र एक बुजुर्ग महिला पर पड़ी, जिसने मुझे एक चॉकलेट भी दी थी और तभी से मेरे मन में अमेठी के लिए एक ख़ास अपनापन पैदा हो गया। अमेठी के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए राहुल ने कहा जहाँ तक अमेठी का सवाल है, मैं आपके लिए और अमेठी के विकास के लिए लड़ता रहा हूँ और जो प्यार मुझे आपसे मिला है, उसके दम पर संघर्ष को आगे भी जारी रखूँगा।
कांग्रेस के नेता
मई 2004 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी विशाल बहुमत से जीते। 1,00,000 मतों के बड़े अंतर से उनकी जीत हुई। जब कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को अप्रत्याशित रूप से हराया। इस अभियान में उनकी छोटी बहन प्रियंका गांधी उनके साथ क़दम से क़दम मिलाकर उनके साथ थीं।[2] सन 2006 तक उन्होंने कोई अन्य पद ग्रहण नहीं किया और निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दों और उत्तर प्रदेश की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया। भारत और अंतरराष्ट्रीय प्रेस में व्यापक रूप से चर्चा थी कि सोनिया गांधी उन्हें राष्ट्रीय स्तर का कांग्रेस नेता बनाने के लिए तैयार कर रही हैं।[3] राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी ने 2006 के चुनाव में रायबरेली से पुनः निर्वाचित होने के लिए अपनी माँ सोनिया गांधी के चुनाव अभियान को सम्भाला और सोनिया गांधी 4,00,000 मतों से विजित हुईं। दिवंगत राजीव गांधी की इस मंशा और उनके सपनों को उनके पुत्र और अमेठी के सांसद राहुल गांधी ने पढा है जिसे वह निरन्तर अमेठी की ज़मीन पर उतारने में अपना क़दम बढाते जा रहे हैं। राहुल गांधी की भी मंशा नई तकनीक और विज्ञान की हर लाभकारी योजना अमेठी के अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना है। साफ्टवेयर के बादशाह बिल गेट्स का राहुल के साथ दौरा अमेठी में कम्प्यूटर योजना को उतारने का ही संकेत माना जा रहा है। दिवंगत राजीव गांधी ने ।985 में अमेठी में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन कर अमेठी की जनता में विज्ञान के प्रति जागरुकता पैदा करना तथा विकसित हो रही नयी तकनीक के प्रति उस समय पैदा किये जा रहे भ्रम को दूर करना था। इस प्रदर्शनी में विज्ञान के क़रीब-क़रीब सारे प्रयोगों के माडल व उनके कार्य व्यवहार, लाभ-हानि को दर्शाया गया था। उस समय कम्प्यूटर और मोबाइल संचार क्रांति का सूत्रपात नहीं हुआ था।'[4] जनवरी 2006 में, हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सम्मेलन में, कांग्रेस पार्टी के हज़ारों कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को पार्टी में महत्त्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रोत्साहित किया और प्रतिनिधियों को सम्बोधित करने की मांग की। राहुल गांधी ने कहा – ‘मैं आपकी भावनाओं और समर्थन के लिए आप सबका आभारी हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपको निराश नहीं करूँगा,’। उन्होंने कहा कि धैर्य बनाये रखें और महत्त्वपूर्ण पद लेने से मना कर दिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, जो 2007 में हुए, वह कांग्रेस अभियान में प्रमुख व्यक्ति थे। इस चुनाव में कांग्रेस ने 8.53% मतदान के साथ 22 सीटें जीती, इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का वर्चस्व रहा।
लोकसभा चुनाव 2009
लोकसभा चुनाव 2009 में उन्होंने अपनें निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से अपने प्रतिद्वंदी को 3,33,000 मतों के भारी अंतर से पराजित किया। इन चुनावों में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 21 सीट जीतकर पुनर्जीवन प्राप्त किया और इसका श्रेय राहुल गांधी को दिया गया। इस चुनाव में उन्होंने छह सप्ताह में 125 जन सभाओं को सम्बोधित किया था। पार्टी वृत्त में वह RG के रूप में जाने जाते हैं।
आलोचना
- 2006 में ‘न्यूज़वीक’ ने कहा कि उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय की अपनी डिग्री पूरी नहीं की थी या मॉनिटर ग्रुप में काम नहीं किया था, तब राहुल गांधी ने क़ानूनी नोटिस भेजा, बाद में न्यूज़वीक इस बात से मुकर गया।
- राहुल गांधी ने ‘बांग्लादेश मुक्ति युद्ध’ को, अपने परिवार की ‘सफलताओं’ में माना। इस बयान से भारत के कई राजनीतिक दलों को आलोचना करने का अवसर मिला।
- 2007 के उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान में उन्होंने कहा – ‘यदि गांधी-नेहरू परिवार से कोई राजनीति में सक्रिय होता तो बाबरी मस्जिद नहीं गिरी होती।’ 1992 में मस्जिद के विध्वंस के समय भारत के प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिंह राव थे, गांधी के इस बयान को नरसिंह राव की आलोचना कहा गया।
- 2008 में, राहुल गांधी की शक्ति का पता चला। राहुल गांधी को चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करने के लिए सभागार का उपयोग करने से रोका गया, मुख्यमंत्री मायावती की राजनीतिक चालबाजियों के कारण बाद में, विश्वविद्यालय के कुलपति वी. के. सूरी को राज्यपाल श्री टी. वी. राजेश्वर, जो कुलाधिपति भी थे, ने बाहर कर दिया, जो गांधी परिवार के समर्थक थे। इस घटना को शिक्षा की राजनीति के रूप में जाना गया और टाइम्स ऑफ इंडिया में एक हास्यचित्र में लिखा गया : ‘वंश संबंधित प्रश्न का उत्तर राहुल जी के पैदल सैनिकों द्वारा दिया जा रहा है।’
- जनवरी 2009 में ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड मिलीबैंड के साथ, उत्तर प्रदेश में उनके संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में, अमेठी के पास एक गाँव में, उनकी ‘ग़रीबी यात्रा’ के लिए आलोचना की गई।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष
दिसंबर 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए संपन्न चुनाव में राहुल गांधी को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया है। पार्टी महासचिव बनने के बाद उन्हें वर्ष 2013 में भारत की सबसे पुरानी पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने कई बदलाव किए थे। इनमें सबसे प्रमुख विभिन्न क्षेत्रों के प्रभावी युवा नेताओं को पार्टी में स्थान देना था। यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई में आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के द्वारा युवाओं को शीर्ष पदों पर आसीन करने की प्रक्रिया शुरू करने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। राहुल गांधी की सबसे बड़ी चुनौती नए और पुराने नेताओं के बीच संतुलन साधना होगा। बतौर महासचिव और उपाध्यक्ष राहुल ने युवाओं को ज्यादा मौका दिया। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के पीठासीन अधिकारी कांग्रेस नेता एम रामचंद्रन ने कहा, ‘राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव करने वाले 89 नामांकन पत्र मिले और सभी वैध पाए गए। केवल एक ही उम्मीदवार मैदान में है। इसलिए मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संविधान के अनुच्छेद-18 (डी) के तहत राहुल गांधी को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के निर्वाचित घोषित करता हूं।’ 47 साल के राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले नेहरू-गांधी परिवार के पांचवें सदस्य हैं। कांग्रेस नेतृत्व में यह बदलाव तक़रीबन दो दशक बाद आया है। इससे पहले राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी 19 साल से पार्टी की कमान संभाल रही हैं। सोनिया गांधी कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रही हैं।