पिपलू मेले को आकर्षक बनाने के लिए इस बार पशु मंडी व प्रदर्शनी, खेल प्रतियोगिताओं और विभिन्न विभागों द्वारा विकासात्मक प्रदर्शनियां लगाई गई हैं। मेले के पहले दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए, जिसमें हिमाचली लोकगायक करनैल राणा ने लोगों का खूब मनोरंजन किया। पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जिला व प्रदेशवासियों को पिपलू मेले की बधाई दी। कंवर ने कहा कि मेले हमारी विरासत है और इसे सहेज कर रखना सभी का कर्तव्य है।
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला के बंगाणा से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर हर साल लगने वाला वार्षिक पिपलू मेला जहां हमारी धार्मिक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। ये मेला अपने आप में प्राचीन समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी सदियों से संजोए हुए है। बदलते वक्त के साथ-साथ हमारे प्राचीन मेलों का स्वरूप भले ही बदला हो लेकिन ऐतिहासिक पिपलू मेला आज भी अपनी प्राचीन सांस्कृतिक स्वरूप में कुछ हद तक यथावथ देखा जा सकता है।
मेले के दौरान पिपलू गांव में पीपल के पेड़ के नीचे शीला के रूप में विराजमान भगवान नरसिंह देवता के दर्शनों के लिए हजारों लोग शिरकत करते हैं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। हर साल ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी को आयोजित होने वाले इस मेले में ऊना, हमीरपुर तथा कांगड़ा जिलों के अतिरिक्त प्रदेश व प्रदेश के बाहर से हजारों श्रद्धालु भगवान नरसिंह के दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं। मेले में स्थानीय लोग अपनी नई फसल को भगवान नरसिंह के चरणों में चढ़ाते हैं।
तीन दिवसीय मेले में पहुंचे पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने पूजा अर्चना व झंडा रस्म के साथ पिपलू मेले का शुभारंभ किया। वहीं, मेले में वीरेंद्र कंवर टमक की थाप पर जमकर झूमते नजर आये।इस बार मेले में पशु मंडी, पशु प्रदर्शनी, खेल प्रतियोगिताएं और विभिन्न विभागों द्वारा लगाई गई विकासात्मक प्रदर्शनियां आकर्षण का केंद्र रहीं। पंचायतीराज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जिला व प्रदेशवासियों को पिपलू मेले की बधाई देते हुए कहा कि मेले एकता और भाईचारे का प्रतीक होते हैं इसलिए सभी लोगों को मेलों में आकर अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाना चाहिए।