जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन.एन. वोहरा ने राज्यपाल शासन लागू होने के बाद पहली बार दिए एक इंटरव्यू में कहा कि राज्यपाल शासन का मतलब कोई हार्ड लाइन या फिर सुरक्षा को लेकर सख्त रूख अपनाना नहीं है। जम्मू कश्मीर में महबूबा सरकार से अलग होने के बीजेपी के फैसले के एक दिन बाद 20 जून को वहां पर राज्यपाल शासन लगाया गया है।
वोहरा ने आगे कहा कि इसके विपरीत इसका मतलब बेहतर शासन और विकास पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करना है।
एन.एन. वोहरा ने हमारे सहयोगी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा- “जैसा की बात हो रही है मैं हार्ड लाइन अप्रोच से अवगत नहीं हूं। ऊपर से लेकर नीचे तक सारे प्रशासनिक उपकरण जनता की सेवा में तेजी और जवाबदेही के साथ काम करेंगे ताकि लोगों का विश्वास दोबारा हासिल किया जा सके।”
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर जल्द ही 10 वर्ष पूरा करने जा रहे वोहरा राज्य में कम से कम चार बार वहां की शासन व्यवस्था चला चुके हैं। संकट की घड़ी में बेहतर प्रबंधक के तौर पर उन्हें देखा जाता है जिन्होंने अमरनाथ श्राइन बोर्ड जमीन को लेकर विवाद के गुलाम नबी आज़ाद की सरकार से पीडीपी की समर्थन वापसी और राज्य में मचे भारी बवाल को बखूबी संभाला था। हालांकि, उसके बाद तीन महीने के अंदर ही चुनाव करा लिए गए थे।