जीवन में सफलता पाने के लिये शिक्षा पहली आवश्यकता है। इसकी नींव स्कूल शिक्षा मानी जाती है। भाषा और ज्ञान बच्चों में आधारभूत बौद्धिक कौशल का ही विकास नहीं करता, बल्कि अन्य विषयों की समझ एवं रूचि के विकास में भी सहायक है। स्कूली शिक्षा से आशय मात्र पुस्तक आधारित ज्ञान प्राप्त करना ही नहीं, बल्कि व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में मदद करना है। मध्यप्रदेश मंत्रि-परिषद के निर्णय के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा परिषद की स्थापना सबके लिए शिक्षा के उद्देश्य से की गयी थी। शिक्षा से वंचित छात्रों को पूर्व माध्यमिक, माध्यमिक और उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय की कक्षाओं में प्रवेश के लिये व्यक्तिगत संपर्क कार्यक्रमों द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। पंजीकृत छात्रों की परीक्षाऍं वर्ष में दो बार मई-जून एवं नवम्बर-दिसम्बर माह में ली जा रही हैं। विद्यार्थी जब तक परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर लेता, तब तक वह लगातार परीक्षा में शामिल हो सकता है। छात्र अपनी योग्यता और इच्छानुसार अवसरों का लाभ लेकर परीक्षा उत्तीर्ण कर सकता है।
मध्यप्रदेश में बिना किसी भेदभाव के सभी को समान रूप से शिक्षा के अवसर उपलब्ध करवाने के लिये राज्य सरकार ने पिछले एक दशक में अनेक नवाचार किये हैं। प्रदेश में स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता के साथ उन बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिनकी स्कूली शिक्षा किन्हीं कारणों से अधूरी रह जाती है।
मध्यप्रदेश में अबऐसा विद्यार्थी जिन्होंने कभी भी, कहीं भी औपचारिक अध्ययन नहीं किया है अथवा जिन्होंने कक्षा 5 अथवा कक्षा 8 तक औपचारिक रूप से अध्ययन किया है, वह विद्यार्थी स्टेट ओपन स्कूल बोर्ड की हाईस्कूल प्रवेश परीक्षा के लिए पात्र होगा। बशर्ते उसके पास जन्म-तिथि का प्रमाण-पत्र तथा आधार कार्ड हो। हाईस्कूल प्रवेश परीक्षा के लिए शैक्षणिक योग्यता तथा आयु का बंधन नहीं रखा गया है। किसी भी मान्यता प्राप्त मंडल से कक्षा 10 वीं एवं कक्षा 12 वीं के अनुत्तीर्ण छात्र, जो कम से कम एक विषय में उत्तीर्ण हों, वे स्टेट ओपन स्कूल बोर्ड की पूर्ण क्रेडिट योजना में प्रवेश ले रहे हैं। पूर्ण क्रेडिट योजना में छात्रों को न्यूनतम एक और अधिकतम दो ऐसे विषयों में क्रेडिट की सुविधा दी जा रही है।
इस अंशतः क्रेडिट योजना में हाईस्कूल और हायर सेकण्डरी परीक्षा उत्तीर्ण छात्र अपने ज्ञानार्जन के लिये कोई अन्य विषय (अधिकतम चार) में परीक्षा देकर मध्यप्रदेश राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा परिषद की परीक्षा पास कर सकते हैं। इस योजना में परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों की अंकसूची में केवल उन विषयों के ही प्राप्तांक दर्शाये जाएंगे, जिनमें उन्होंने परीक्षा दी है। श्रेणी सुधार योजना में हाईस्कल एवं हायर सेकण्डरी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद परीक्षार्थी यदि पुनः श्रेणी सुधार हेतु परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं, तो उन्हें श्रेणी सुधार के लिये नये अवसर दिये जा रहे हैं। पिछले वर्षो में परिषद की कक्षा 10 में 16 लाख 67 हजार 57 और कक्षा 12 में 7 लाख 46 हजार 548 विद्यार्थी शामिल हुए। इनमें से 8 लाख 50 हजार से अधिक विद्यार्थी परीक्षा उत्तीर्ण होकर शिक्षा की मुख्य-धारा से जुड़ गये हैं।
रूक जाना नहीं योजना
राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा परिषद की ‘रूक जाना नहीं’ योजना ने उन छात्रों में उत्साह पैदा किया है, जो किन्हीं कारणों से मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल की बोर्ड अथवा अन्य राज्य के मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड की कक्षा 10 और 12 की परीक्षा में उत्तीर्ण होने से वंचित रह गये थे। विद्यार्थियों में आत्मघाती कदम को रोकने तथा परीक्षा के और अवसर उपलब्ध कराये जाने की दृष्टि से ‘रूक जाना नही’ योजना छात्र हित में वर्ष 2016 में प्रारम्भ की गयी। योजना में वर्ष 2016 से जून 2018 तक कक्षा 10 में कुल 3 लाख 7 हजार 152 और कक्षा 12 में 2 लाख 41 हजार 834 विद्यार्थी शामिल हुए। इनमें से करीब 2 लाख 15 हजार विद्यार्थी उत्तीर्ण होकर शिक्षा की मुख्य-धारा से दुबारा जुड़ गये। इनमें से कई विद्यार्थी अब सफलता पूर्वक कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं। स्टेट ओपन स्कूल बोर्ड बच्चों को व्यवसायिक पाठ्यक्रम में भी शिक्षा उपलब्ध करवा रहा है। इनमें भाषा शिक्षा, स्टेनोग्राफी, खाद्य प्र-संस्करण, टेलरिंग, ड्रेस मटेरियल और कम्प्यूटर हार्डवेयर असेम्बली प्रमुख है। राज्य ओपन स्कूल ने हिन्दी माध्यम में शिक्षा देने के साथ-साथ अंग्रेजी माध्यम से विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल होने की सुविधा दी है। छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ओपन स्कूल की वेबसाइट शुरू की गई है।
उत्तर पुस्तिका का डिजिटल मूल्यांकन
मध्यप्रदेश स्कूली ओपन बोर्ड प्रदेश का ही नहीं, बल्कि देश का एकमात्र ऐसा बोर्ड है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल पद्धति से किया जा रहा है। इस व्यवस्था में परीक्षार्थी की उत्तर पुस्तिकाएँ उसके जिले में ही स्केन करवाते हुए सेन्ट्रल सर्वर पर अपलोड किये जाने की सुविधा है। डिजिटल मूल्यांकन से परीक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आयी है। इस प्रणाली से जाँची गयी उत्तर पुस्तिकाएँ लंबे समय तक ई-फार्म में सुरक्षित रखी जा रही है। राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की विभिन्न परीक्षाओं के साथ पूर्व में प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड द्वारा परीक्षाओं में से जिला स्तरीय उत्कृष्ट विद्यालय एवं विकास खण्ड स्तरीय मॉडल विद्यालय प्रवेश परीक्षा, श्रमोदय आवासीय विद्यालय चयन परीक्षा और सुपर 100 चयन परीक्षा भी सफलता से आयोजित की जा रही है।
वर्ल्ड ऑन व्हील
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ”डिजिटल इंडिया” कार्यक्रम के माध्यम से समाज और अर्थ-व्यवस्था का डिजिटल इम्पावरमेंट करने की पहल की है। यह कार्यक्रम देश के 135 करोड़ से अधिक नागरिकों को कम्प्यूटर लिटरेसी से जोड़कर उन्हें सशक्त बनाने, शासन व्यवस्था में पारदर्शिता लाने में कामयाब हुआ है। योजना को सकारात्मक रूप देने तथा डिजिटल शिक्षा एवं जागरूकता के लिये मध्यप्रदेश राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड एवं राष्ट्रीय उद्यमिता विकास निगम के माध्यम से ”वर्ल्ड ऑन व्हील” मोबाइल कम्प्यूटर लैब विकसित की गयी है। यह मोबाइल कम्प्यूटर लैब एक स्कूल से दूसरे स्कूल एवं एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचकर शिक्षा के लिए सकारात्मक वातावरण तैयार करेगी। इस कम्प्यूटर लैब में 20 कम्प्यूटर सहित इंटरनेट, जनरेटर तथा सौर ऊर्जा पैनल युक्त कई सुविधाएँ ”वर्ल्ड ऑन व्हील” बस में हैं। इससे प्रतिवर्ष हजारों लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया जायेगा। इस प्रयोगशाला में बिजली किसी प्रकार की बाधा न बने, इसके लिए इसे सौर ऊर्जा से संचालित किया गया है। यह मोबाइल बस चार वर्षों तक प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण करेंगी।
आईटीआई उत्तीर्ण विद्यार्थियों को कक्षा 12 की समकक्षता
प्रदेश के विद्यार्थी आई.टी.आई. के बाद रोजगार के साथ उच्च शिक्षा भी प्राप्त कर सकें, इसके लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने छात्र हित में घोषणा की थी कि अब कक्षा 10 वीं उत्तीर्ण करने के बाद आई.टी.आई. उत्तीर्ण विद्यार्थियों को कक्षा 12 वीं के समकक्ष बनाया जायेगा। इसके लिये राज्य मुक्त स्कूल शिक्षा बोर्ड और मध्यप्रदेश राज्य कौशल विकास संचालनालय के मध्य एक एम.ओ.यू. भी किया गया है।
मध्यप्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक प्रयोगशाला बन गया है। स्वयं मुख्यमंत्री ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों के लिये भी प्राथमिक स्तर से उच्च शिक्षा तक की व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की है। राज्य सरकार ने गरीब बच्चों की शिक्षा की मुफ्त व्यवस्था की है, बच्चों की फीस भर रही है, नि:शुल्क कोचिंग दी जा रही है। अब वह दिन दूर नहीं, जब मध्यप्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर ‘एजुकेशन हब’ के रूप में पहचाना जाएगा।