कुंडली के चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव से व्यक्ति के नाम और यश की स्थिति देखी जाती है. कभी कभी द्वादश भाव से भी नाम यश का विचार होता है. मूल रूप से चन्द्रमा और शुक्र ,यश प्रदान करने वाले ग्रहमाने जाते हैं. हस्तरेखा विज्ञान में सूर्य को यश का ग्रह माना जाता है. शनि , राहु और ख़राब चन्द्रमा , यश में बाधा पंहुचाने वाले ग्रह हैं. इसके अलावा कभी कभी संगति से भी अपयश का योग बन जाता है.
अगर व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ ,सप्तम या नवम भाव मजबूत हो
अगर चन्द्रमा या शुक्र में से कोई एक काफी मजबूत हो
अगर कुंडली में पञ्च महापुरुष योग हो
अगर कुंडली में गजकेसरी योग हो
अगर हाथ में दोहरी सूर्य रेखा हो या सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो
कब व्यक्ति को जीवन में अपयश मिल जाता है ?
जब व्यक्ति का सूर्य या चन्द्रमा ग्रहण योग में हो
जब कुंडली का अष्टम या द्वादश भाव ख़राब हो
जब कुंडली में शुक्र या चन्द्रमा नीच राशि में हो
जब सूर्य रेखा टूटी हो या उस पर द्वीप हो
जब सूर्य पर्वत पर तिल या वलय हो
अँधेरे घर में रहने वालों को अपयश मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है
जीवन में यश प्राप्ति के लिए क्या उपाय करें?
प्रातःकाल उठकर सबसे पहले अपनी हथेलियों को देखें
इसके बाद माता पिता और बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करें
नवोदित सूर्य को रोज प्रातः जल अर्पित करें
इसके बाद “ॐ भास्कराय नमः” का 108 बार जाप करें
लाल चन्दन का तिलक अपने कंठ पर लगाएं
अपयश से बचने के लिए क्या उपाय करें?
हर मंगलवार को हनुमान जी को सिन्दूर अर्पित करें
नित्य प्रातः शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें
ताम्बे का एक सूर्य लाल धागे में रविवार को गले में धारण करें
हर अमावस्या को चावल , दाल , आटा और सब्जियों का दान करें
सोते समय सर पूर्व दिशा की ओर करके सोएं