शहद प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला चिपचिपा सा मीठा पदार्थ है. यह केवल मधुमक्खियों द्वारा ही बनाया जा सकता है. शहद का प्रयोग आदिकाल से औषधि और धार्मिक कार्यों के लिए किया जा रहा है. पंचकर्म में भी शहद का प्रयोग विशेष रूप से होता है. पूजा की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ “पंचामृत” बिना शहद के बन ही नहीं सकती. ऐसा मानते हैं कि, देवी ने महिषासुर का वध करते समय बार बार शहद का पान किया था. ज्योतिष में शहद का सम्बन्ध बृहस्पति से होता है, कुछ हिस्सा सूर्य और मंगल का भी पाया जाता है.
शहद के प्रयोग में क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?
एक साथ बहुत ज्यादा शहद का प्रयोग नहीं करना चाहिए
शहद का प्रयोग जब भी करें जल के साथ ही करें
सूर्य के नवोदित रहने तक शहद का सेवन सबसे ज्यादा उत्तम होता है
शहद को गर्म करके नहीं खाना चाहिए
शहद को मांस मछली , तेल और गुड आदि गर्म चीज़ों के साथ प्रयोग नहीं करना चाहिए
जिन लोगों को गरमी की प्रकृति हो उन्हें भी शहद का सेवन नहीं करना चाहिए
शहद के धार्मिक और आयुर्वेदिक प्रयोग क्या हैं?
पंचामृत में शहद डालकर ही पूजा में प्रयोग कर सकते हैं
शिव जी का शहद से अभिषेक करने से मंगल दोष समाप्त होता है, तथा ऋण से मुक्ति मिलती है
देवी को शहद अर्पित करने से शत्रु और विरोधी शांत होते हैं
शरीर पर शहद लगाकर स्नान करने से त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं
गुनगुने पानी के साथ शहद लेने से मोटापा दूर होता है
शहद का प्रयोग तुलसी और अदरक के साथ गले और शीत की समस्या को दूर करता है
अगर नियमित रूप से उपवास रक्खा जाय और उसमे शहद का प्रयोग किया जाय तो शरीर से विष दूर हो जाएगा
शरीर में कोई बीमारी नहीं होगी
शहद के चमत्कारी ज्योतिषीय प्रयोग क्या हैं ?
अगर कुंडली में मंगल समस्या दे रहा है तो शहद न खाएं, बल्कि हर मंगलवार शिवलिंग पर अर्पित करें
अगर बृहस्पति बुरे परिणाम दे रहा है तो , शहद को स्वर्ण अथवा पीतल के पात्र में खाएं
अगर पति पत्नी के बीच तालमेल अच्छा नहीं है तो कांच की बोतल में शहद भरकर बेडरूम में रक्खें
अगर किसी व्यक्ति को सन्मार्ग पर लाना हो तो कांच की शीशी में शहद भरकर शनिवार को जमीन में दबाएँ